क्या देश की राजधानी महिलाओं के लिए सुरक्षित है? सच्चाई जानकर हैरान रह जायेंगे आप

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो के आंकड़ों की मानें तो 2021 में देश की राजधानी दिल्ली में हर दिन दो नाबालिग लड़कियों के साथ रेप की घटनाएं हुई हैं । यानी भारत की राजधानी को महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो बहुत भयानक स्थिति है।

राजधानी दिल्ली प्रदूषण के मामले में तो सबसे आगे है ही, साथ ही महिलाओं के साथ होने वाले दुष्कर्म में भी पीछे नहीं है।

चुनावी दिनों में हर नेता और राजनेता महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए बड़े-बड़े दावे जरूर करते हैं। परंतु महिलाओं की स्थिति हर दिन बद से बद्तर होती जा रही है। 12 से 15 साल की लड़की भी असुरक्षित हैं। अरे 10 साल की बच्ची भी खतरे में ही है। अब किसके साथ क्या हो जाए कुछ नहीं पता। और इंसाफ़ तो भूल ही जाओ।

कोई बदनामी के डर से आगे नहीं आयेंगी तो कोई रोज-रोज की ज़लालत से पिछे हट जाती है। कुछ समाज के इज्जतदार लोगों के तानों से तंग आकर आत्महत्या ही कर लेती है। विडंबना तो देखो समाज की महिलाएं ही उस महिला या लड़की को सुकून से नहीं रहने देती जिसके साथ दुष्कर्म हुआ है।

वे महिलाएं ज्यादा भयावह और दुष्कर्मी हैं जो ऐसी बच्चियों और महिलाओं के प्रति अलग नजरिया रखतीं है।

अब बात अगर महीलाओं के साथ होने वाले दुष्कर्म के आंकड़ों की करें तो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की उस रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में भारत में रोजाना औसतन 86 बलात्कार के मामले दर्ज हुए है।

गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनसीआरबी की ‘क्राइम इन इंडिया 2021’ रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में बलात्कार के 28,046 मामले, जबकि 2019 में 32,033 मामले दर्ज किए गए थे। 

एनसीआरबी की इस रिपोर्ट को देखें तो देश में साल 2021 में 2020 की तुलना में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 15.3% की बढ़ोतरी हुई है।

दिल्ली का हाल देखें तो 2020 में महिलाओं के प्रति अपराध के 9,782 मामले दर्ज किए गए थे। और 2021 में दर्ज किए गए मामले 2020 के मुकाबले 40% ज्यादा हैं।

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दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार देशभर में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित दिल्ली है, जहां पिछले साल हर दिन दो नाबालिग से बलात्कार हुआ है। 

आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 13,892 मामले दर्ज किए गए। साल 2020 में यह आंकड़ा 9,782 था। 

रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली में रेप, अपहरण और महिलाओं के प्रति क्रूरता के मामले बढ़े हैं। 2021 में दिल्ली में अपहरण के 3,948 मामले सामने आए।

हिंसा करने वाला अगर कोई अपना हो, तो पीड़ा ओर असहनीय हो जाती है। दिल्ली में महिलाओं के साथ क्रूरता करने वाले उनके पतियों के खिलाफ 4,674 मामले दर्ज हुए।

नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के 833 केस सामने आए हैं। इसके अलावा यह जानकर बड़ा झटका लग सकता है कि देश की राजधानी में 136 घटनाएं ऐसी हुईं, जहां दहेज के लिए लड़की को जलाकर मार डाला गया। यह 19 महानगरों में होने वाली कुल मौतों का 36.26% है।

हमारे देश में डाउरी प्रॉहिबिशन एक्‍ट है, आईपीसी की धारा 498 ए और 304 बी के मुताबिक दहेज लेना कानूनन अपराध है। और इसके लिए सख्‍त सजा का प्रावधान है, लेकिन उसके बावजूद साल 2021 में 136 लड़कियों को दहेज के लिए बेरहमी से जिंदा जला दिया गया। इतनी भूख, इतना लालच कि किसी को बलि चढ़ना पड़ा। अरे इतना सामर्थ नहीं है कि कमा के खा सको तो जिंदा महिला को ही निगल गए।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले सभी 19 महानगरों की श्रेणी में कुल अपराधों का 32.20% हैं। 

सभी 19 मेट्रो सिटीज में साल 2021 में महिलाओं के साथ अपराध के कुल 43,414 मामले दर्ज हुए।

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दिल्ली के बाद अगला नंबर है आर्थिक राजधानी मुंबई का

दिल्‍ली के बाद महिलाएं मुंबई और बंगलुरू महानगरों में भी असुरक्षित हैं। इन दोनों महानगरों में भी 2020 के मुकाबले 2021 में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और अपराध की घटनाओं में आश्‍चर्यजनक ढंग से बढ़ोतरी हुई है। 

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 2021 में महिलाओं के साथ अपराध के कुल 5500 मामले दर्ज किए गए और बंगलुरू में इस तरह के कुल 3000 मामले दर्ज हुए।

सभी मेट्रो सिटीज में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के मामले 12.7% मुंबई में और 7.2 % बंगलुरू में हो रहे है। 

इन आंकड़ों से यह बात तो बिल्कुल साफ है कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में सबसे ज्‍यादा योगदान देश की राजधानी का ही है। 

निर्भया कांड तो आपको याद ही होगा, जिसे अभी 10 साल हो चुके है।

निर्भया के साथ हुई एक जघन्‍य हिंसा ने पूरे देश को मानो नींद से उठा दिया था। लेकिन क्या अब सब कुछ भुला दिया गया है। क्या हमारा भारतीय समाज फिर से सो गया है।

निर्भया के साथ हुई भयावहता के बाद अचानक महिलाओं की सुरक्षा प्राइम टाइम टेलीविजन डिबेट से लेकर देश की संसद तक में सबसे बड़ा मुद्दा बन गई थी। 

आईपीसी की धारा 376 में बदलाव करने, रेप केस के लिए अलग से फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने, 60 दिनों के भीतर चार्जशीट फाइल करने की मांग उठी।

लेकिन क्या हुआ इन सब से? क्या कोई सुधार हो पाया? कोई चार्जसीट, रिपोर्ट या कानून में बदलाव के बाद भी कुछ भी परिवर्तन ला पाएं? उल्टा अपराधियों का साहस दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उन्हें कोई डर ही नहीं है। अपराध करके ऐसे निकल जाते है जैसे मानों कोई जंग जीत ली हो।

रेप की घटनाएं रुकना तो दूर, उल्‍टे तब से लेकर अब तक लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। 2012 से लेकर 2022 तक का महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों का एनसीआरबी के आंकड़ों का ग्राफ लगातार ऊपर की ओर ही बढ़ रहा है।

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थॉमसन रॉयटर्स की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत की सड़कें और सार्वजनिक स्थान महिलाओं के लिए सबसे ज्‍यादा असुरक्षित हैं, वहीं घर के भीतर भी कोई खास सुरक्षा नहीं है। सच तो यही है कि औरतों के साथ सबसे ज्‍यादा अपराध घरों के भीतर ही हो रहे है। 

यूएन की एक रिपोर्ट कहती है कि पूरी दुनिया में औरतों के साथ हिंसा और रेप की सबसे ज्‍यादा घटनाएं घरों के अंदर होती हैं। कोरोना के दौरान अचानक घरेलू हिंसा के आंकड़ों का ग्राफ कोविड संक्रमित लोगों के ग्राफ से भी ज्‍यादा तेजी से आगे बढ़ा। और यह दशा केवल भारत की नहीं है। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में औरतों के साथ होने वाली घरेलू हिंसा की घटनाओं में 28% की बढ़ोतरी देखी गई।

एनसीआरबी की रिपोर्ट हर साल आती है और हर साल महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी के आंकड़े ही देखने को मिलते हैं।

बस देश की आर्थिक प्रगति का, शिक्षा और रोजगार का, बीमारियों से लड़ने का, इस तरह का ग्राफ ही हर साल ऊपर की ओर ही नहीं बढ़ता।

हम आंकड़ों को देखकर विलाप तो कर रहे हैं कि देश की राजधानी दिल्ली महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। लेकिन समाधान कहां है?

एक बहुत बड़ा सच तो यह है कि महिलाएं अगर अपनी सारी हिम्मत एकजुट कर लें और खुल कर विरोध करें तो इससे हजारों गुना मामले घर के अंदर से निकलेंगे।

पिता, भाई, चाचा, मामा, पति जैसे रिस्ते अपराधिक चेहरा लिए सामने दिखेंगे। इन बढ़ते आंकड़ों का एक कारण चुप्पी और डर भी।

अपने डर से बाहर निकल कर खुद को सामर्थ बनाने की जरूरत है। मेरा सभी माता-पिता और अभिभावकों से अनुरोध है कि बेटी की शादी के लिए धन अर्जित करने की बजाय उसे काबिल बनाओं। हर लड़की को डिफेंस टेक्नीक जैसे जूडो-कराटे, टाई-कुंडो, बाॅक्सिंग आदि में कोई भी एक गुर तो जरूर सीखना चाहिए।

हर समय हमारा अच्छा चाहने वाले हमारे साथ नहीं रह सकते, हमें बाहर तो निकलना ही होगा। तो जितना ध्यान आप अपनी सुन्दरता व मेकअप का रखतीं है, उससे ज्यादा साहसी और डिफेंडिंग बनें।

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हम किसी की ओर भी संकेत नहीं कर रहें हैं। जिनकी नियत में खोट है और जो असभ्य है व जिसे रिस्तों की मर्यादा नहीं पता हम उसका विरोध जरूर करते हैं।  आप भी थोड़े सजग बनिए और अपने आस पड़ोस में होने वाली अपराधिक घटनाओं का विरोध किजिए। 

हमारा उद्देश्य केवल जानकारी देना है। उपर्युक्त आंकड़े एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए हैं।

Jagdisha के साथ अपनी राय अवश्य सांझा करें। धन्यवाद!

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