105 वर्षीय दादी ने 100 मीटर की दौड़ में गोल्ड जीत तोड़ा रिकॉर्ड

हरियाणा की 105 वर्षीय राम बाई ने 45.40 सेकेंड में 100 मीटर दौड़ पूरी कर रिकॉर्ड तोड़ा, गोल्ड मेडल जीत बनाया नया कीर्तिमान |

अगर इच्छाशक्ति दृढ़ हो और कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो कुछ भी संभव है | किसी भी काम को करने के लिए या यूँ कहे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती | जब आत्मविश्वास पूर्ण और कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कर उन्हें पार करने का मजबूत इरादा हो, तो असंभव कुछ भी नहीं |

कई बार परिस्थितियों का वास्ता दे, और भाग्य को कोस कर अपना बचाव तो किया जा सकता पर सपनों की उड़ान नहीं भरी जा सकती |

आज की कहानी थोड़ी अविश्वसनीय लगती है, लेकिन 100 टका सही है | 105 वर्ष की उम्र सुनते ही एक जर्जर और बेडौल बुजुर्ग की कल्पना ही मस्तिष्क में घूमेगी जिन्होंने चारपाई या बिस्तर को पकड़ लिया हो |

सबसे पहले आज के इस प्रदूषित माहौल में 105 वर्ष की जिंदा व्यक्ति की कल्पना ही की जा सकती है और तो और इतनी उम्र में आने के बाद तो कली गुडगुड़ाना, नाती-पोतो, पड़पोतो-पोतियों को खिलाना या बैठे-बैठे बहुओं पर हुक्म चलाती होंगी की एक छवी उभर कर आती है | या हद से हद लाठी के सहारे थोड़ा इधर-उधर घूम लेना | ये सब सच है भी क्योंकि जो अधिकतम लोगों की संख्या इसी मानसिकता की है तो मिलेंगे भी इसी तरह की बातें करते हुए लोग |

लेकिन ऐसा नहीं है इस दुनिया में जहां डूबने और थकने वालों की संख्या ज्यादा है तो वहीं कभी ना रुकने और कभी ना थकने वालों की संख्या भी है जो अपने होंसलों और इरादों से सभी को हैरान कर देते हैं | 

अब हम बात कर रहें है, 105 वर्षीय हरियाणा की राम बाई की को बिल्कुल अलग हैं, वे तो दौड़-दौड़कर युवाओं के पसीने छुड़ा रहीं हैं | मेडल जीत रहीं हैं और रिकॉर्ड तोड़ रहीं हैं | सोचा नहीं था न, लेकिन ऐसा ही है |

एथलेटिक्‍स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा बेंगलुरू में नेशनल ओपेन मास्‍टर्स एथलेटिक्‍स चैंपियनशिप में 105 वर्षीय दादी ने अपनी उम्र को पछाड़ते हुए 100 मीटर की रेस 45.40 सेकेंड में पूरा करके नया कीर्तिमान बना दिया |

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कौन हैं ये दादी?

105 वर्षीय दादी राम बाई हरियाणा के चरखी दादरी के एक गांव कादमा की रहने वाली हैं | उनका जन्‍म 1 जनवरी, 1917 को हुआ था | 

सेना में सेवारत उनके परिवार के कुछ सदस्यों ने मास्टर्स एथलेटिक मीट में भाग लेने के अलावा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया है |

दादी के परिवार में लगभग सभी एथलीट हैं, लेकिन दादी ने खेल जगत में पहला कदम 104 वर्ष की उम्र में यानी पिछले साल ही रखा |  

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जीते है कई गोल्ड मेडल

पिछले साल 2014, नवंबर में वाराणसी में आयोजित मास्‍टर्स एथलेटिक्‍स मीट में राम बाई ने हिस्‍सा लिया |  उन्होंने वहाँ चार गोल्‍ड मेडल जीतकर एक रिकॉर्ड बना दिया | 

उन्‍होंने 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में गोल्‍ड मेडल जीते | साथ ही रिले रेस और लंबी कूद का भी गोल्‍ड अपने खाते में दर्ज कर लिया |

उसके बाद तो मानो दादी के दौड़ने और जीतने का सिलसिला ही चल पड़ा है | उन्होंने एक दर्जन से अधिक पदक जीते हैं |

वाराणसी के बाद वो केरल, महाराष्‍ट्र और कर्नाटक में आयोजित कई प्रतियोगिताओं में हिस्‍सा लेकर मेडल जीत चुकी हैं | वो हर जगह अपनी पोती शर्मिला सांगवान के साथ जाती हैं | शर्मिला भी अपनी दादी से बहुत प्रभावित होती हैं |

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तोड़ा मान कौर का रिकॉर्ड

दादी राम बाई गुजरात के वडोदरा में अकेली दौड़ीं, क्योंकि इस रेस प्रतियोगिता में 85 वर्ष से ऊपर का कोई प्रतियोगी नहीं था | 

ऐसे में दादी ने सैकड़ों दर्शकों की मौजूदगी में 100 मीटर की रेस पूरी की | और विश्व मास्टर्स में इस आयु में 100 मीटर की रेस पूरा कर गोल्ड मेडल जीता |

रामबाई दादी ने 45.40 सेकंड में दौड़ पूरी कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड हासिल किया | यह रिकॉर्ड पहले स्व. मान कौर के नाम दर्ज था, उन्होंने यह दौड़ वर्ष 2017 में 74 सेकंड में पूरी की थी |

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सफलता का मंत्र

मीडिया द्वारा जीतने के मंत्र के बारे में पूछे जाने पर रामबाई अपनी हंसी नहीं रोक पाईं | वह बोलीं, ‘मैं चूरमा, दही और दूध खाती हूं  |’ उन्होंने कहा, ‘वह शुद्ध शाकाहारी हैं |

दादी प्रतिदिन लगभग 250 ग्राम घी और 500 ग्राम दही खाती हैं | वह दिन में दो बार 500 मिलीलीटर शुद्ध दूध पीती हैं | उन्हें बाजरा की रोटी पसंद है और वह चावल ज्यादा नहीं खातीं |

वह खेतों में बहुत काम करती हैं | एक सामान्य दिन में दादी 3-4 कि.मी. दौड़ती हैं | 

उनकी पोती शर्मिला के अनुसार, उनकी दादी की सफलता और ताकत का राज उनका खान-पान और गांव का वातावरण है | 

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अगला लक्ष्य

दिल्ली से लगभग 150 किमी दूर कदमा गाँव चरखी दादरी जिले की रहने वाली रामबाई दादी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि ‘यह मेरे लिए एक अच्छा एहसास है और मैं फिर से दौड़ना चाहती हूं |’ 

उन्होंने 15 जून, 2022 को 100 मीटर की रेस पूरी की और 19 जून, 2022 को 200 मीटर की रेस पूरी कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया | 

अब उनका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में होने वाली प्रतियोगिता में भाग लेना है |

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Jagdisha दादी आप तो हर उम्र वर्ग के लिए प्रेरणा स्त्रोत हो, हमारा आपको सहृदय प्रणाम | जो लोग समय और उम्र का बहाना लगा, हमे भाग्य ने मौका नही दिया कह कर खुद का बचाव करते है, उनके लिए आप सही उदाहरण हो कि जब ठान लो तब ही उचित समय है |

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