पुरूषों से अधिक महिलाओं को होती है यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) की समस्या, क्या है UTI

अब आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में सर दर्द की समस्या से कोई अछूता है ही नहीं | ऐसे में शरीर के अन्य अंगों की किसी भी समस्या के विषय में भी कोई लापरवाही नहीं की जानी चाहिए |

सही भी है, जब शरीर स्वस्थ रहेगा तब मन भी स्वस्थ रहेगा और किसी भी कार्य को सुचारू रूप से किया जा सकता है |

आप ही बताओ अगर शरीर से जुडी़ किसी भी समस्या से आप जूझ रहे हो तो किसी भी काम को करने का मन करता है क्या?

आज हम बात कर रहे एक ऐसी बिमारी की जिसकी कोई चर्चा तो बिल्कुल नहीं करना चाहता, क्योंकि यह रोग जुड़ा है गुप्तांग से |

अगर बात गुप्तांग की आ जाए तो फिर बात करने के नाम पे सांप सूंघ जाता है क्यूंकि इससे आनंद तो उठाएंगे लेकिन इस पर होने वाली समस्याओं पर खुल कर बात नहीं करेंगें |

और अगर बात महिलाओं की समस्या की है तब तो बस शर्म का चोला हटाए न हटे | अब समस्या तो समस्या ही रहेगी वो चाहे सर, पेट, आँख, नाक की हो या दिल, गुर्दे, फेफड़ों से जुडी़ हो या फिर योनी, मुत्रमार्ग, मूत्राशय की भी क्यों न हो |

किसी भी समस्या को लेकर चुप्पी तो केवल उस समस्या को गंभीर रूप जरूर दे सकती है | ऐसी ही समस्याओं में से एक है, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी यूटीआई |

अधिकतर यूटीआई की वजह से ब्लैडर (मूत्राशय) इंफेक्शन हो जाता है | जिसके कारण पेशाब करने में जलन, बार-बार पेशाब लगना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना और पेशाब से दुर्गंध आती है |

अगर ये बिमारी किडनी तक पहुंच जाए तो पीठ के निचले हिस्से में तेज दर्द महसूस होता है | कई बार इसकी वजह से बुखार, ठंड लगना या उल्टी जैसा भी महसूस हो सकता है |

इसमें बेशर्मी वाली कोई बात नहीं है, क्योंकि समस्या तो केवल समस्या ही होती है | जिसमें संकोच का कोई स्थान नहीं क्यूंकि यह भी तो शरीर का ही एक महत्वपूर्ण अंग है | इस बीमारी को भी एक अंग की समस्या के रूप में ही देखिए और अंग तो केवल अंग ही होता है, तो शर्म को थोड़ा एक तरफ रखिए |

यूटीआई एक आम बीमारी है जो पुरूषों से अधिक महिलाओं में देखी जाती है | महिलाएं अपनी समस्या को बताएं, उसे बढाऐं नही |

आइये जाने क्या है यूटीआई, इसके लक्षण और इस समस्या से बचने के उपाए…

क्या है यूटीआई?

यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी यूटीआई एक आम बीमारी है जो अधिकतर महिलाओं में देखी जाती है | यह बीमारी तब होती है जब रोगाणु मूत्र प्रणाली को संक्रमित कर देते हैं |

यूटीआई आपके यूरिनरी सिस्टम के किसी भी हिस्से में होने वाला संक्रमण है जैसे – आपके गुर्दे, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रमार्ग |

यानी इसका असर किडनी, ब्लैडर और इन्हें जोड़ने वाली नलिकाओं पर भी पड़ता है | वैसे तो यूटीआई बीमारी आम है लेकिन ध्यान ना दिया जाए तो इसका इंफेक्शन किडनी में भी फैल सकता है, जो किसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है |

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यूटीआई होने का खतरा अधिक होता है |

कई रिपोर्ट्स में यह पाया गया कि करीब 40% महिलाओं को अपने जीवन में यूटीआई का सामना करना पड़ता है |

महिलाएं शर्म की वजह से इंफ़ेक्शन के शुरुआती दौर में इसे कई बार नजरअंदाज करती हैं, जिसके कारण ये समस्या ओर भी गंभीर होती जाती है |

हालांकि, ऐसा नहीं है कि यूटीआई सिर्फ़ महिलाओं से जुड़ी समस्या है, बल्कि पुरुषों, वयस्को, किशोर उम्र और बच्चों में भी अब ये समस्या देखने को मिल रही है | लेकिन इसमें महिलाओं की संख्या अधिक देखने को मिलती है |

अगर यूटीआई का समय रहते इलाज ना किया जाए तो ये मूत्राशय से एक या दोनों किडनी में फैल सकता है |

किडनी में पहुंच कर संक्रमण इसकी कार्यक्षमता को नुकसान पहुंचाता है | जिन लोगों को पहले से ही किडनी की दिक्कत है, इसकी वजह से उनमें किडनी के सही से काम न करने का खतरा बढ़ जाता है | इस बात की भी संभावना है कि यूटीआई खून के जरिए शरीर के दूसरे अंगों में फैल जाए |

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यूटीआई होने का कारण क्या है?

यूटीआई मुख्य रूप से ई-कोलाई नामक बैक्टीरिया से होता है | यह बैक्टीरिया आमतौर पर पाचन तंत्र में मौजूद रहता है | यह बैक्टीरिया मूत्रमार्ग से होते हुए मूत्राशय तक पहुंच जाता है | लेकिन कभी कभी ये फंगस और वायरस के कारण भी फैलते है |

कमजोर प्रतीक्षा तंत्र (Immune System) वाले लोगों में यीस्ट के कारण भी मूत्राशय संक्रमण होता है | गोनोरिया, दाद, क्लैमाइडिया और मायकोप्लाज्मा जैसे यौन संचारित रोग भी इस बीमारी की संभावना को बढ़ाते हैं |

यूटीआई संक्रमण निम्नलिखित कारणों से होता है:-
  • संभोग: विशेषकर यदि संभोग अधिक बार, तीव्र और कई या बहुत लोगों के साथ किया जाये तो यू.टी.आई होने की संभावना हो सकती है |
  • मधुमेह (शुगर) के रोगियों को यू.टी.आई होने का खतरा अधिक होता है |
  • अस्वच्छ रहने की आदत |
  • मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न करना |
  • दस्त आना |
  • मूत्र करने में बाधा उत्पन्न होने पर |
  • पथरी होने के कारण |
  • गर्भनिरोधक का अत्यधिक उपयोग करने के कारण |
  • रजोनिवृत्ति के दौरान |
  • कमजोर प्रतिरोधक तंत्र होने पर |
  • एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक उपयोग करने के कारण |

यूटीआई के लक्षण :

  • पेशाब करने में बहुत जलन होना |
  • पेशाब करने में दर्द होना |
  • तत्काल पेशाब हो जाने का डर लगना |
  • बार-बार पेशाब जाने की तीव्र इच्छा होना लेकिन जाने पर बहुत कम मात्रा में पेशाब आना |
  • पेशाब का रंग बदल जाना, कोला या चाय की तरह होना |
  • पेशाब में खून का आना |
  • पेशाब में पस आना |
  • पेशाब में दुर्गंध (odor) आना |
  • मूत्रमार्ग और मूत्राशय की परत में सूजन आ जाना |
  • महिलाओं के पेल्विस में दर्द होना |
  • पुरुषों के मलाश्य में दर्द होना |
  • पहले की अपेक्षा पेशाब में गाढ़ापन आ जाना |
  • हल्का या तेज बुखार आना, ठंड लगना, और अस्वस्थ महसूस करना |
  • फ्लेंक दर्द यानी शरीर के एक तरफ पेट के उपरी हिस्से और पीठ के बीच के क्षेत्र में दर्द होना |

गर्भवती महिलाओं में यूटीआई से संक्रमित होने की संभावनाएं अधिक होती हैं | अगर कोई महिला गर्भवती है, तो बच्चे के जन्म के पूर्व होने वाली जांचों में उसके मूत्र का परीक्षण भी करते रहना चाहिए क्योंकि अगर संक्रमण का पता नहीं लग पाता है तो यह गर्भावस्था के के दौरान जटिलताओं का कारण बन सकता है |

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यूटीआई के प्रकार :

सिस्टाईटिस या मूत्राशय का संक्रमण : यह मूत्राशय के भीतर होने वाला बैक्टीरियल (जीवाणु-संबंधी) संक्रमण है | कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में यीस्ट भी मूत्राशय के संक्रमण का कारण है |

यूरेथ्राइटिस या मूत्रमार्ग संक्रमण : यह भी बैक्टीरिया (जीवाणु) के कारण होने वाला संक्रमण है | इसमें मूत्रमार्ग में सूजन होने की वजह से मूत्र त्यागने में दर्द का अनुभव होता है |

पाइलोनेफ्राइटिस या गुर्दा संक्रमण : यह किडनी में होने वाला संक्रमण है जिससे किडनी में इन्फेक्शन गंभीर रूप से हो सकता है | इस स्थिति में अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ सकती है | इसमें बुखार, पेशाब में खून और श्रोणि में दर्द होता है | गर्भवती महिलाओं को यह संक्रमण होने की सम्भावना अधिक होती है |

यूटीआई से बचाव के घरेलू उपाय :

  • पानी अधिक मात्रा में पियें, 6 से 8 गिलास तो रोजाना ही, इससे जल्दी-जल्दी पेशाब आने से बैक्टीरिया पेशाब के माध्यम से बाहर निकल जाते है |
  • विटामिन-सी जैसे संतरा, आंवला आदि का सेवन करें | इससे पेशाब की अम्लता बढ़ती है जो बैक्टीरिया को समाप्त करने में महत्वपूर्ण होती है |
  • क्रैनबेरी (करोंदे) का जूस, सेब का सिरका पियें |
  • अनानास, ब्लूबेरी का सेवन भी फायदेमंद साबित होता है |
  • अपनी निजी सफाई का ध्यान रखें जैसे- रोज नहाना, ढीले अंदरूनी कपड़े पहनना और उन्हें रोज बदलना | सूती व सहज अंडरवियर पहने |
  • बाथरूम जाने पर मूत्रमार्ग की अच्छे से सफाई करना | हमेशा आगे से पीछे की ओर यानी योनी से गुदा की ओर साफ करें |
  • संभोग से पहले और बाद में पेशाब जरूर जायें |
  • पेशाब को रोक कर न रखे हर 2-3 घंटे में मूत्राशय को खाली करते रहें |
  • साफ बाथरूम का ही इस्तेमाल करें |
  • असुरक्षित यौन संबंधों से बचें |
  • शराब और कैफीन के सेवन से दूर रहें ये मूत्राशय में संक्रमण पैदा कर सकते हैं |
  • जन्म नियंत्रण के लिए शुक्राणुनाशकों का उपयोग न करें |
  • जननांगों में किसी भी प्रकार के सुगंधित उत्पादों का उपयोग करने से बचें।
  • नहाने के लिए बाथ टब का उपयोग कम करें |
  • गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और डायबिटीज के मरीजों को यूटीआई के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए |
  • लक्षण महसूस होते ही बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और बिना देर किए सही इलाज शुरू करना चाहिए |

हमारा उद्देश्य केवल आपको जानकारी देना है, जिससे आप अपने स्वस्थ्य के प्रति सजग रहें | किसी भी प्रकार की समस्या का आभास होने पर डॉक्टर से संपर्क करें वही सही परीक्षण के बाद उचित इलाज कर आपकी सहायता कर सकते है |

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