WWE में लड़ने वाली भारत की पहली महिला रेसलर

महिला शक्तिहीन नही होती, असहाय और कमजोर तो बिल्कुल नही | इस बात का प्रमाण हैं, हरियाणा के छोटे से गाँव की कविता देवी, वह महिला जिन्होंने WWE में सलवार कमीज में खिलाड़ियों को धूल चटाई | इन्हें WWE में ‘हार्ड लेडी’ के नाम से जाना जाता है |

हरियाणा भारत का दूसरा ऐसा राज्य है जहां कन्या भ्रूण हत्या जैसा अपराध एक प्रमुख विषय है | जिस तरह से कविता देवी ने सफलता प्राप्त की है वह सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है |

WWE में लड़ने वाली देश की पहली महिला होने की उपलब्धि कविता देवी के नाम है |

यह धाकड़ महिला रिंग में शेरनी की तरह विरोधी खिलाड़ियों से भिड़ जाती हैं | वह लगातार चार बार सीनियर नेशनल चैंपियन, नेशनल गेम्स में चैंपियन, साउथ एशियन गेम्स में चैंपियन रह चुकी है |

कविता देवी ने 2014 से 2016 तक लगातार तीन साल नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, 2015 में नेशनल व 2016 में साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता |

कविता देवी 2018, अमेरिका के फ्लोरिडा में हुए माई यंग क्लासिक टूर्नामेंट में 32 महिला पहलवानों में शामिल होने वाली एकमात्र भारतीय थीं |

हाई स्कूल में कबड्डी की खिलाड़ी रहीं, कविता देवी ने रिंग कौशल अपने कोच और गुरु पूर्व डब्ल्यूडब्ल्यूई वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन ‘दि ग्रेट खली’ (दलीप सिंह राणा) से सीखे |  

कविता वेटलिफ्टिंग, विशु और मिश्रित मार्शल आर्ट में राष्ट्रीय स्तर की चैम्पियन रही है |

कविता देवी सलवार-कमीज में रिंग में उतरती | वह समाज को यह संदेश देना चाहती हैं कि भारतीय नारी किसी से कमजोर नहीं हैं | 

वह अपने खेल के लिए भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों ‘फर्स्ट लेडी’ सम्मान से सम्मानित की जा चुकी हैं |

प्रारंभिक और व्यक्तिगत जीवन

कविता देवी का जन्म 20 सितंबर 1983 को हरियाणा, जींद जिलू के एक छोटे से गांव मालवी के जुलना में हुआ था | 

उनके पिता ओमप्रकाश दलाल एक पुलिस अधिकारी थे और माँ ज्ञानमति देवी एक ग्रहणी | वह पाँच बहन-भाई में चौथे नंबर की है |

कविता देवी गांव में ही पली-बढ़ी और जुलाना के गर्ल्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल से अपनी 12वीं तक की पढाई पूरी की | उन्होंने ला मार्टिनियर लखनऊ विश्वविद्यालय से 2004 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की |

पुरुषवादी सोच के बीच उनके बड़े भाई संजय दलाल ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया | वह अपने बड़े भाई की वजह से ही उच्च शिक्षा और वेटलिफ्टिंग का प्रशिक्षण ले पाईं |

साल 2009 में कविता देवी की शादी बॉलीवाल खिलाड़ी गौरव तोमर से हुई | उत्तर प्रदेश, बागपत निवासी गौरव तोमर एसएसबी में कांस्टेबल हैं | उनके करियर के लिए गौरव तोमर ने अपने खेल करियर को भी छोड़ दिया |  उनका एक बेटा है, जिसका नाम अभिजीत है |

करियर

कविता देवी ने 2002 में बीए के पहले साल में भाई की सलाह पर गृह नगर में स्थित एक वेटलिफ्टिंग अकादमी में वेट लिफ्टिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू की | कोच बलवरी सिंह बल्ली से सात से आठ महीने ट्रेनिंग ली, लेकिन उनका देहांत हो गया | फिर वह परीक्षण के लिए बरेली गई | 2004 में उन्होंने लखनऊ में रहते हुए कई नेशनल गोल्ड मेडल जीते | 2008 में उन्हें स्पोर्ट्स कोटे से सशस्त्र सीमा बल में कांस्टेबल की नौकरी मिल गई |

कविता देवी ने एसएसबी में उप निरीक्षक के पद के लिए 2010 के वेट लिफ्टिंग में भाग न लेने का फैसला किया था, क्योकि उन्हें सरकार द्वारा कई टूर्नामेंटों में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति नहीं दी गयी थी | यहाँ तक कि रूस में एक अन्तर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी शामिल नहीं होने दिया गया था |

2010 में उन्होंने पति की सलाह पर नौकरी छोड़ वुशु (चाइनीज मार्शल आर्ट) की ट्रेनिंग ली | रोहतक में उनके भाई ने कुछ महीने इसकी ट्रेनिंग दिलाई | और कविता देवी लगातार दो वर्ष सीनियर नेशनल चैंपियनशिप व गेम्स में वुशु चैंपियन बनी |

2012 में अपने बेटे के जन्म के बाद उन्होंने न खेलने का फैसला लिया | इतना लंबा सफर तय करने के बाद इस तरह सब कुछ छोड़ घर बैठ जाना पति और भाई को ठीक नहीं लगा | उन्होंने कविता देवी को समझाया और फिर जिस मंजिल को पाने की उनकी जिद थी, वह अभी कहाँ मिल पाई थी | इसलिए उन्होंने दोबारा उठने का फैसला किया |

बच्चे के जन्म के बाद स्त्री शारीरिक कमजोरी महसूस करती है | लेकिन उन्होंने बच्चे के जन्म के एक साल बाद ही अभ्यास करना शुरू कर दिया | 

कविता देवी अपने बच्चे को ननद की देखरेख में छोड़ प्रशिक्षण के लिए जाती | 

उन्होंने 2014 से 2016 तक लगातार तीन साल नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता | 

2016 में कविता देवी दक्षिण एशियाई खेलों की 75 किलोग्राम भार के टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीती थीं | उन्होंने 50 किलोग्राम में रजत पदक विजेता विक्रम सिंधे को हराया था | उन्होंने इसी साल असम के गुवाहटी में दक्षिण एशियाई खेलों शानदार प्रदर्शन किया था |

2016 में जालंधर में स्थित महाबली खली की अकादमी में वह अपने परिवार के साथ एक शो देखने गई | रिंग में एक महिला रेस्लर बी. बी. बुल बुल चुनौती दे रही थी, कोई है, जो मुझसे टकरा सके | उन्होंने भीड़ के बीच से अपना हाथ खड़ा कर दिया और सलवार-सूट में ही रिंग में उतर गईं | उन्होंने देसी तरीके से उसे पटक दिया | 

यहां से उनके जीवन की एक नई शुरुआत हुई |  दि ग्रेट खली ने उन्हें मौका दिया और फिर क्या था वह रेसलिंग प्रशिक्षण लेने लगी |

कविता देवी ने साल 2017 में दुबई में हो रही WWE प्रतियोगिता में भाग ले कर अपना प्रदर्शन  मजबूत किया और प्रतिभा स्काउट का ध्यान केंद्रित किया |

इसके बाद टैलेंट डेवलपमेंट के उपाध्यक्ष कैन्यन सीमन ने कविता देवी के मजबूत प्रदर्शन की प्रशंसा की | 

15 अक्टूबर 2017 को, डब्ल्यूडब्ल्यूई ने घोषणा की कि कविता देवी ने एक अनुबंध पर हस्ताक्षर कर दिए और वे डब्ल्यूडब्ल्यूई का हिस्सा बन गईं |

2018 में उनका मुकाबला मे यंग क्लासिक टूर्नामेंट के पहले राउंड में न्यूजीलैंड की डकोटा काई के साथ हुआ था | भले ही कविता देवी इस मैच को हार गईं, लेकिन उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर सभी का दिल जीत लिया था |

इसके बाद कविता देवी ने रेसलमेनिया 34 विमेंस बैटल रॉयल में भाग लेकर डब्ल्यूडब्ल्यूई के सबसे बड़े टूर्नामेंट में भाग लेने का गौरव प्राप्त किया | इस प्रतिस्पर्धा में उन्हें सारा लोगान ने बाहर कर दिया था |

जनवरी 2019 में उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई सुपरलीग भारत में करने के लिए खिलाड़ियों का चयन करना शुरू किया हैं |

2021 में एसीएल की चोट और पति को कोरोना हो जाने के कारण कविता देवी भार त आ गईं और जनवरी से भारत में ही हैं |

19 मई 2021 को, यह घोषणा की गई कि कविता देवी को डब्ल्यूडब्ल्यूई से मुक्त कर दिया गया है | वह भारत में डब्ल्यूडब्ल्यूई के लिए एक राजदूत के रूप में शामिल रहेंगी और जल्द ही भारत में प्रतिभाओं की तलाश कर उन्हें प्रेरित करेगीं |

कविता देवी वर्तमान में पंजाब के जालंधर में स्थित द ग्रेट खली कंपनी कॉन्टिनेंटल रेसलिंग एंटरटेनमेंट, के लिए काम करती हैं |

वह अपने विरोधियों को धन्यवाद देती हैं, क्योंकि वह मानती है कि यदि विरोधी न होते तो कामयाबी की इतनी जिद न होती | नकारात्मकता ने उन्हें जीतने और लडऩे का हौसला दिया | आज उनके गांव के लोग अपनी बेटियों को कविता देवी बनाना चाहते हैं | 

कविता प्रफेशनल रेसलिंग में डेब्यू का श्रेय अपने पति और भाई को देती हैं |

कविता ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा की अपने परिवार के समर्थन के कारण ही आज वह ये सफलता हासिल कर पाईं |

कैसी लगी कविता देवी की यह प्रेरणादायक कहानी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएँ | आपका प्रोत्साहन ही हमारे लिए प्रेरणा है |

लड़की हो तुम ये मत करो, वो मत करो सुरक्षित क्षेत्र चुनो, अरे कुछ लड़कियों जैसा चुनो, नही नही हमे तो समाज में रहना है और समाज के कुछ नियम होते है, बेटी तो अपने घर की ही अच्छी है | जाने ओर भी क्या क्या सबसे पहले परिवार और रिश्तेदारो से ही बहुत कुछ सुनने को मिल जाता | या ये कहूँ कि आज भी समाज के नाम पर बेडिया पहनाई जाती है | 

ये आपको ही चुनना है, कि आपका सपना और मंजिल तक पहुँचने का दरादा कितना मजबूत है या आपका डर और भानात्मक प्रहार आपको कितना तोड़ता है? आप लड़की या महिला है इस नाते अपने सपनो को मत हारने दिजिये | क्योंकि कोई भी काम ऐसा नही है, जो आप नही कर सकती | अपने साहस और हौसले पर विश्वास कीजिये | एक महिला हर रूप में सबल है, तो अपनी शक्ति को पहचाने |

Jagdisha का इस बुलंद हौसले से भरी और स्त्री शक्ति का परिचय देती महिला को प्रणाम | हम आपके स्वस्थ जीवन और भविष्य में नई ख्याति गढ़ने की कामना करते है |

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