ओलंपिक के 125 साल के इतिहास में हॉकी में हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी

29 वर्षीय खिलाड़ी वंदना कटारिया इस साल (2022) नौ एथलीटों में एकमात्र हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्हें पद्म श्री पुरस्कार के लिए नामित किया गया है |

भारत ने 2020-21 ओलंपिक में सात पदक जीते | एवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा का स्वर्ण, और पहलवान रवि कुमार दहिया और भारोत्तोलक मीराबाई चानू का रजत | एक और प्रदर्शन जिसे उत्सुकता से देखा गया, वह महिला हॉकी टीम का था जो चौथे स्थान पर रही |

वंदना कटारिया 13 नवंबर 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी हैं |

भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया ने 250 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं | वह ओलंपिक में हैट्रिक बनाने वाली पहली भारतीय महिला हैं | 22 मार्च 2022 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया |

राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में, अपने परिवार के साथ आई वंदना कटारिया, ने खेल के क्षेत्र में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किया |

भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी फॉरवर्ड वंदना कटारिया ने 31 जुलाई 2021 को टोक्यो में  एक नया इतिहास रच दिया | उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में हैट्रिक लगाई |

वह ओलंपिक के 125 साल के इतिहास में हॉकी में हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं |

साल 1984 के बाद किसी भारतीय ने पहली बार ओलंपिक में हैट्रिक लगाई है | इससे पहले आखिरी बार 1984 ओलंपिक में पुरुष हॉकी खिलाड़ी विनीत शर्मा ने हैट्रिक लगाई थी | 

ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी की यह 32वीं हैट्रिक है | 32 में से 7 हैट्रिक हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम हैं |

सबसे पहली हैट्रिक भी मेजर ध्यानचंद ने ही लगाई थी | उनके बाद बलबीर सिंह का नाम आता है, जिन्होंने 4 बार यह कारनामा किया है |

वंदना कटारिया ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च 2022) के मौके पर वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, “मेरा परिवार, विशेष रूप से मेरे पिता, हमेशा बहुत सहायक थे लेकिन रिश्तेदार और पड़ोसी विरोध में थे | वे मेरे भाइयों से कहते थे कि मुझे खेलने न दे | शॉर्ट्स पहनने के लिए वे मेरी आलोचना करते थे | जब मैं ये बातें सुनती तो मुझे दुख होता था और ऐसा लगता था कि मैंने पैदा हो कर ही गलती की है।”

इसके साथ ही उन्होंने कहा, “समय के साथ लोगों की मानसिकता बदल गई और महिला हॉकी के प्रति उनका दृष्टिकोण भी बदल गया | अब रोशनाबाद स्टेडियम में हॉकी खेलने वाले 250 एथलीटों में अधिकतर लड़कियां हैं |”

वंदना कटारिया, 2016 में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी, 2017 में एशिया कप, 2014 में एशियाई खेलों में कांस्य और 2018 में रजत सहित कई अन्य उपलब्धियों में भारतीय जीत का हिस्सा रही हैं | उन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया |

इस डबल ओलंपियन खिलाड़ी ने अपने करियर की शुरुआत रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड के लिए खेलते हुए की और 2006 में भारतीय जूनियर महिला टीम में जगह बनाई |

वंदना कटारिया जर्मनी के मोनचेंग्लादबाच में एफआईएच हॉकी जूनियर विश्व कप महिला 2013 में देश की शीर्ष स्कोरर थीं, जहां भारत ने कांस्य पदक जीता था | उन्होंने इस टूर्नामेंट में पांच गोल किए |

अर्जेंटीना के लुसियाना आयमार उनके पसंदीदा खिलाड़ी हैं |

जन्म और प्रारंभिक जीवन

वंदना कटारिया का जन्म 15 अप्रैल 1992 को रोशनाबाद – हरिद्वार, उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड में) में हुआ था | उनके पिता स्व. नाहर सिंह, बीएचईएल हरिद्वार में मास्टर टेक्नीशियन के रूप में काम करते थे | साल 2021, अप्रैल में ओलंपियन से पहले उनके पिता का निधन हो गया था |

उनकी माँ का नाम सौरण देवी है, वह गृहिणी हैं | वह 8 बहन-भाई में सातवें नंबर की हैं | उनकी दो बहने और दो भाई भी खेल जगत से जुड़े हैं |

उनके भाई सौरभ कटारिया फुटबॉल खिलाड़ी व कोच हैं और पंकज कटारिया कराटे खिलाड़ी हैं | उनकी बड़ी बहन रीना कटारिया भोपाल एक्सीलेंसी में हॉकी कोच हैं | उनकी छोटी बहन अंजली कटारिया भी एक हॉकी खिलाड़ी हैं |

उनकी भतीजी खुशी कटारिया भी हॉकी में अपना करियर बना रही हैं | वह अभी जूनियर टीम की खिलाड़ी हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय खेलो में मार्च-अप्रैल 2021 में उडीसा, भुवनेश्वर में कास्य पदक जीता |

उनके पहले कोच कृष्ण कुमार हैं और हॉकी कोच प्रदीप चिन्योति हैं |

वंदना कटारिया उत्तराखंड के रोशनाबाद गांव में पली-बढ़ीं | उनके पड़ोसी और रिश्तेदार नहीं चाहते थे कि वह अपने सपनों को पूरा करें | यहां तक कि उनकी दादी भी यह चाहती थी कि वह घर के कामों में हाथ बटाएँ |

लेकिन, पहलवान रहे उनके पिता ने आगे आकर उसका समर्थन किया और पेशेवर रूप से खेल में उन्हें आगे बढ़ाने में मदद की |

वंदना कटारिया ने खेल की शुरूआत हॉकी से नही बल्कि खो-खो से की थी | उन्होंने 2002 में खो-खो राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रिकॉर्ड बनाया था |

11 वर्षीय वंदना कटारिया एक दिन जब स्पोर्ट्स स्टेडियम रोशनाबाद में खो-खो खेल रही थी, तब जिला खेल अधिकारी कृष्ण कुमार उनके फुर्तीले अंदाज से प्रभावित हुए और उन्हें हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया |

2002 से 2005 तक उन्होंने रोशनाबाद स्टेडियम में हॉकी खेल के बुनियादी गुर सीखे | इस दौरान तीन राष्ट्रीय प्रतियोगताओं में उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व किया |

2004 में सहारनपुर में हुए ऑल इंडिया टर्नामेंट में हरियाणा के खिलाफ दो गोल कर टीम को जिताया |

उन्होंने 2005 में लखनऊ हॉस्टल में एडमिशन लिया | साल 2006 में वंदना कटारिया का जूनियर हॉकी टीम में चयन हुआ | 2008 में वह मुंबई रेलवे के साथ जुडी |

2010 में अपने दमदार प्रदर्शन के चलते उन्होंने भारतीय टीम में जगह पक्की की |

हॉकी करियर

वंदना कटारिया के कोच प्रदीप चिन्योति ने उन्हें एक स्कूल टूर्नामेंट में देखा था और फिर उनके उचित प्रशिक्षण के लिए उन्हें मेरठ आने को कहा | 2004 में वह मेरठ चली गईं और कोच प्रदीप चिन्योति ने भारत की ओर से खेलने के लिए उनकी मदद की |

वह उस टीम का हिस्सा बनी, जिसने जर्मनी के मोनचेंग्लादबाच में 2013 जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक जीता था | वह टूर्नामेंट में भारत की शीर्ष स्कोरर थी, उन्होंने जिसने 4 मैचों में 5 गोल किए थे | 

उन्होंने ग्लासगो, स्कॉटलैंड में 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में कनाडा के खिलाफ खेलते हुए अपनी 100वीं कैप जीती |

2014 में उन्होंने कोरिया में हुए 17वें एशियन गेम्स में कास्य पदक जीता |

वदना कटारिया को 2014 में हॉकी इंडिया के प्लेयर ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया था | 

2014-15 के एफआईएच हॉकी वर्ल्ड लीग के राउंड 2 में, वदना कटारिया 11 गोल के साथ शीर्ष स्कोरर थी, और भारत ने वह टूर्नामेंट जीता |

वंदना कटारिया ने रियो 2016 के बाद भारत की महिला हॉकी टीम का नेतृत्व किया | 

उन्होंने 2016 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के लिए सुशीला चानू की भूमिका निभाई |

उनके नेतृत्व में भारत ने फाइनल में चीन को 2-1 के अंतर से हराकर 2016 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता |

नवंबर 2016 में, कटारिया को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम के कप्तान के रूप में बरकरार रखा गया और उन्होंने 23 से 30 नवंबर तक मेलबर्न में टीम का नेषतृत्व किया |

एशियाई चैंपियन ट्रॉफी, 2018 में कोरिया से हारकर भारतीय टीम को रजत पदक से संतुष्ट होना पड़ा था | लेकिन वंदना कटारिया अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रही थीं | उन्होंने प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीता | उन्होंने विश्व कप से पहले जून 2018 में भारत के स्पेन दौरे में पांच मैचों की श्रृंखला के तीसरे मैच में अपना 200वां मैच खेला | उन्हें विश्व कप के लिए 16 सदस्यीय टीम में नामित किया गया थ

टोक्यो में 2020 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में, वंदना कटारिया हॉकी में ओलंपिक हैट्रिक बनाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं | इसलिए उन्हें ‘हैट्रिक गर्ल’ भी कहा जाने लगा है |

भारतीय महिला हॉकी टीम टोक्यो ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज पदक  के लिए ब्रिटेन से भिड़ी, लेकिन कांटे के मुकाबले में वह हार गई |

8 अगस्त 2021 को, उन्हें केंद्र के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ आंदोलन’ का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया |

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 8 अगस्त 2021 को भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया को महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग का ब्रांड एंबेसेडर बनाने की घोषणा की थी | टोक्यों ओलंपिक में टीम के शानदार प्रदर्शन में अहम योगदान देने के लिए उन्हें उत्तराखंड सरकार ने 25 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की है |

सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में तीलू रौतेली पुरस्कार से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वंदना कटारिया को सम्मानित किया | यह सम्मान उत्तराखण्ड में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को दिया जाता हैं | इस पुरस्कार के विजेता को 31 हजार रुपए और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता हैं |

हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के बुलंद हौसले और अपने खेल को हमेशा निखार देने की यह प्रेरणादायक कहानी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में बताना मत भूलिएगा |

कर बुलंद हौसले,

तू बढ़तू बढ़ती जा, फिर देख

हर राह तेरी, फिर ले चले

मंजिलों की ओर, बस तू

कदम बढ़ा, बिना डरे

डट जा तू, अब अड जा

सफालता की चोटी, फिर जो तेरा

चुमेगी माथा, फिर कहना तू

है अपार शक्ति, सामर्थ्य भी बड़ा

न कोई भय, फिर रोक सके

किस में है दम, क्योंकि

है बुलंद हौसला |

Jagdisha हॉकी खेल में आपके उत्कृष्ट योगदान के लिए हम अभार प्रकट करते | और कामना करते है कि आप आगे भी नए मील के पत्थर बनाएं |

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