झारखंड की लेडी टार्जन पौधे लगा, कर रही हैं धरणी का अलंकरण

जिसका मनोबल सबल होता हैं, उसे असफलताएं विफलता तो दे सकती हैं| लेकिन निरंतर प्रयास और आत्मविश्वास से, सफलता के मार्ग को अनावरण किया जा सकता हैं|

धैर्य, विश्वास, और साहस से भरपूर हैं लेडी टार्जन चामी मुर्मू| कर रही हैं पर्यावरण को संरक्षित| अपने 33 वर्षो के प्रयास में अब तक लगा चुकी हैं, 27 लाख से अधिक पौधे| महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर दिखा बना रही हैं सशक्त|

चामी मुर्मू जंगल में अवैध कटाई टिंबर माफिया, और जानवरों के अवैध शिकार के विरोध में अभियान चलाती रहती हैं| नक्सलियों के विरूद्ध अभियान चलाने के कारण कहा जाता हैं लेडी टॉर्जन |

चामी मुर्मू का जन्म 1973 में माँ नानी मुर्मू और पिता धानु मुर्मू के यहाँ हुआ था| वह सरायकेला खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड के बाघरायसाई गांव, झारखंड से हैं| उनके गाँव में आईटीआई पटमदा द्वारा 1988 में एक महिला सम्मेलन हुआ| उस सम्मेलन में वह सम्मिलित हुई और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझा| सम्मेलन में आई 9 और महिलाओं को साथ ले चल दी अपने उद्देश्य की ओर|

उन्होंने अपना 10 महिलाओं का समूह बनाया और समय समय पर बैठक आयोजित करती रही|

प्रतिदिन गांव-गांव घूमकर महिलाओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक करती| महिलाओं के इस समूह ने शुरूआती 10 सफल बैठके की| लेकिन महिलाएं होने के नाते गाँव वालो के विरोध का भी सामना किया| महिलाओं का घर से बाहर जा कर कुछ करना तो वर्जित होता| चामी मुर्मू न हारी और न ही रूकी| जब एक गाँव से दूसरे गाँव जाने के लिए लोगो ने गाडी में नही बैठने दिया तब पैदल ही अपना सफर तय करती रही|

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चामी मुर्मू को कुछ बेहतर करना था, 1989 में उन्हें 1 लाख नर्सरी करने का कार्य मिला| अवसर को पकड़ उन्होंने अपने समूह के साथ बीज रोपण कर सही देखभाल द्वारा पौधे उगाये| अब उन पौधो को उन्हें अपने गाँव में लगाने को कहा गया| गाँव वालो को अपनी जमीन खो जाने की संका हुई, लेकिन सबको समझा कर अपने कार्य में सफल रही|

गाँव की बंजर भूमि को खेती के अनुकूल करना शुरू किया| अपने प्रयासो और मेहनत से बंजर भूमि को हरा-भरा करने में सफल रही| जहां आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होता वहां पोषाहार पहुंचाने का काम करती|

चामी मुर्मू ने राजनगर के बाघरायसाई में सहयोगी महिला संस्था का गठन किया| 1992 में उनकी संस्था पंजीकृत हुई| महिलाओं को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार से जोड़ने का कार्य कर रही हैं|

चामी मुर्मू अपनी संस्था की ओर से महिलाओं को बकरी पालन, मुर्गा पालन, कुक्कुट पालन सहित विभिन्न प्रकार की स्वरोजगर योजनाओं का लाभ दिलाकर उनके परिवारों को आर्थिक रूप से सबल बनाने का कार्य कर रही हैं| महिलाओं को सरसों, आलू, गेहूं आदि बीज का वितरण कर उन्हें खेती के लिए प्ररित करती हैं|

चामी मुर्मू अबतक कोल्हान क्षेत्र में सहयोगी महिला संस्था बाघरायसाई के द्वारा 29 सौ महिलाओं का समूह बना 30 हजार महिलाओं को स्वरोजगार दे चुकी हैं| 

उन्होंने 720 हेक्टेयर भूमि पर 27 लाख से अधिक पौधे लगा पर्यावरण और धरणी का अलंकरण किया हैं| बंजर भूमि को बना रही हैं हरा- भरा| इसके साथ ही लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरे और पर्यावरण को नुकसान भी न हो, इसके लिए वाटर हार्वेस्टिंग प्रक्रिया को बढ़ावा देती हैं|

उन्होंने स्थानीय वन्यजीवों की सुरक्षा और जंगलों को लकड़ी माफियाओं से सुरक्षित करने के लिए निस्वार्थ भाव से अतुल्य कार्य किया हैं| नक्सलियों के विरूद्ध भी सक्रियता से कार्य किया है|

चामी मुर्मू राजनगर प्रखंड भाग-16 की जिला परिषद सदस्य भी हैं|

चामी मुर्मू अविवाहित हैं| महिलाओं के आत्मसम्मान और समाज सेवा के उनके कार्य में उनके माता पिता ने सदैव उन्हें प्रोत्साहित किया|

पर्यावरण संरक्षण में अद्वितीय कार्य के  लिए चामी मुर्मू को वर्ष 1996 में इंदिरा गांधी वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया|

चामी मुर्मू को 1999 में सामाजिक समन्वय समिति चाईबासा द्वारा चाईबासा रत्न, सिंहभूम कक्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की ओर से अभिनंदन पत्र, आदिवासी एसोसिएशन के द्वारा सम्मान पत्र, भारतीय जननाट्य संस्था चाईबासा की ओर से सफदर हाशमी सम्मान से सम्मानित किया गया |

8 मार्च 2020 अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए चामी मुर्मू  को राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया| इस अवसर पर उन्हें दो लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया|

Jagdisha का आत्मविश्वास और सकारात्मक विचारों वाली महिला को अभिवन्दन| हम आपके सामाजिक उद्धार हेतु सभी उल्लेखनीय कार्यों की सराहना करते हैं|

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