18 साल की उम्र में ₹7000 से की थी शुरुआत अब है 111 करोड़ का ब्रांड

नीना लेखी, बैगिट ब्रांड की एमडी और चीफ डिजाइन क्यूरेटर है। साल 1985 में ₹7000 से नीना लेखी ने बैगिट ब्रांड कि शुरुआत की थी, जिसे आज उन्होंने ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है। 

दो लोगों की टीम ने मिलकर शुरू किए इस बैगिट ब्रांड ने आज दुनिया भर में अपनी पहचान कायम की है।

पिछले कुछ दशकों में भारतीय महिलाओं की प्रतिभा निखर कर सामने आईं है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अव्वल हैं।

जीवन के लक्ष्य के लिए ऊंचाइयों को छूने के लिए बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जो मुश्किल सफर को पार करने से नहीं कतराते, वहीं सफल हो आगे बढ़ पाते हैं।

नीना लेखी असफलताओं को ही सफलता का आधार मानती हैं । उन्होंने अपने बिजनेस के साथ-साथ अपने परिवार को भी बखूबी संभाला और अपनी बेटी की परवरिश की।

आइये जानते हैं महिला उद्यमी नीना लेखी का सफर…

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परिचय

नीना लेखी मुंबई की रहने वाली हैं। वह अपनी मां के बहुत करीब थीं, और हर बात उनसे शेयर किया करती थीं।

वो उनकी मां ही थीं जिन्होंने उनका बिज़नेस स्टार्ट करने के लिए 7 हज़ार रुपये दिए थे। लेकिन उनके अनुसार बिज़नेस की सेन्स उन्हें उनके पापा से मिली। 

उनके पापा अक्सर डिनर टेबल पर उनके साथ बिज़नेस से जुड़ी बातें शेयर किया करते थे कि कैसे फैक्ट्री, कस्टमर्स और फंड्स में उन्हें परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।  

तीन दशकों पहले, 18 साल की उम्र में, नीना लेखी ने 7,000 रुपये से बैगिट को पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से बने एक शाकाहारी एक्सेसरीज़ ब्रांड के रूप में शुरू किया।

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असफलता से सफलता की ओर

नीना लेखी एक होनहार स्टूडेंट रहीं हैं। लेकिन काॅलेज के दौरान उन्होंने अपना ध्यान मौज-मस्ती की ओर केंद्रित कर दिया था। परिणाम स्वरूप वह अपने पहले साल में फेल हो गईं|

असफलता के साथ ‘डफर’ और ‘बेवकूफ’ जैसे टैग आए जो उन्होंने खुद को देना शुरू कर दिया। “उस विफलता ने उन्हें झकझोर दिया और अपने जीवन में कुछ बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्हें अब खुद को दुनिया के सामने साबित करना था।

नीना लेखी अपने माता-पिता को बहुत सहायक होने का श्रेय देती हैं, जिन्होंने कभी भी उनकी विफलता के बारे में उन्हें निराश नहीं किया या उन्हें बुरा महसूस नहीं कराया। इसके बजाय, उनके माता-पिता ने उन्हें अपने आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान के पुनर्निर्माण के तरीकों को देखने के लिए प्रेरित किया, और कहा कि वह जो भी निर्णय लेना चाहती हैं ले सकतीं है वे उनके साथ खड़े हैं।

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बनी सेल्सपर्सन

नीना लेखी ने माइक कृपलानी फैशन्स में नौकरी की, जहां उन्होंने रिटेल सेक्शन में काम किया | 17 साल की उम्र में वह सीख रही थीं कि रिटेल कैसे काम करता है और सेल्स जॉब में अपना पहला अनुभव किया। उन्हें आधे दिन के काम के लिए प्रति माह लगभग 400 रुपये का भुगतान किया जाता था। 

इसके बाद उन्होंने श्याम आहूजा में एक दूसरी नौकरी भी करना शुरू कर दिया, जहां उन्होंने कालीन बेचे और 600 रुपये प्रति माह कमाए। काम के उन वर्षों से उन्होंने बहुत कुछ सीखा जो अधिक परिपक्व और जिम्मेदार व्यक्ति बनने में सहायक हुए।

इन नौकरियों में काम करने से नीना में उद्यमशीलता की भावना भी जगी और यही वह समय था जब उन्होंने अपना उद्यम शुरू करने के बारे में सोचना शुरू किया।

1985 में, 7000 रुपये हाथ में लेकर, जो उनकी माँ ने उन्हें दिये थे, नीना लेखी एक छाप छोड़ने के लिए निकल पड़ी। 

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बैगिट की सफलता

मुंबई स्थित स्टार्टअप बैगिट ब्रांड की कीमत 111 करोड़ रुपये है, जिसमें हैंडबैग में 360 से अधिक स्टॉक-कीपिंग यूनिट (एसकेयू), वॉलेट में 360 एसकेयू, मोबाइल पाउच में 70 एसकेयू और 10 फ्रेंचाइजी स्टोर हैं।  

कई घरेलू ब्रांड चीन से अपनी सामग्री का स्रोत मंगाते हैं, जबकि बैगिट भारत में ही अपने पूरे उत्पाद पोर्टफोलियो का डिजाइन और निर्माण खुद करते है। यह स्टार्टअप भारतीय उपभोक्ताओं की संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए ‘मेक इन इंडिया’ डिजाइनिंग और निर्माण में दृढ़ता से विश्वास करता है।

नीना लेखी प्रारंभ में एक समय में एक कदम के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ी। उन्होंने अपने स्वयं के “अद्वितीय दृष्टिकोण और व्यक्तित्व” वाले अधिक बैग बनाने के दृष्टिकोण के साथ केवल एक बैग के साथ शुरुआत की।

उन्होंने इसे प्रदर्शनियों में बेचा और कुछ रिटेल दुकानों में भी विशेष रूप से अपने द्वारा बनाए बैग की आपूर्ति की।

उन्हीं दुकानों पर रिटेल भी किया जहाँ उन्होंने काम करना शुरू किया था।

फिर नीना लेखी ने स्लिंग्स, पर्स, क्लच, शोल्डर बैग्स, टोट्स और सैचेल्स में और अधिक वेरिएंट डिजाइन करना शुरू किया। उन्होंने अपनी खुद की प्रदर्शनी आयोजित करना शुरू कर दिया, जो बाद में शॉपर्स स्टॉप और रीगल जैसे आउटलेट्स तक पहुंच गई, जो अपने बैग स्टॉक करना चाहते थे।

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1989 में, नीना लेखी के लिए कारोबार इतना बड़ा हो गया कि उन्होंने अपने भाई के साथ एक स्टोर शुरू करने के लिए मुंबई के केम्प्स कॉर्नर में एक जगह किराए पर लेने पर विचार किया। 

व्यवसाय व्यवस्थित रूप से विकसित हुआ और हर महीने उन्होंने कंपनी में मुनाफे को फिर से निवेश करने का एक बिंदु बना दिया।

बैगिट को बाजार के बाकी ब्रांडों से अलग करता है, वह है अच्छी तरह से बदलाव के लिए अनुकूल होने की क्षमता। नीना लेखी के लिए एक ऐसा ब्रांड बनाना महत्वपूर्ण रहा है जो पर्यावरण के प्रति जागरूक और टिकाऊ है। बैगिट के बैग और एक्सेसरीज़ सभी 100 प्रतिशत शाकाहारी हैं।

उन्होंने अपने ब्रांड का नाम माइकल जैक्सन के गीत बीट इट रेज से लिया है। बीट इट, बीट इट से बैग इट, बैग इट और बस ऐसे उन्हें अपने ब्रांड के लिए एक नाम मिला।

100 करोड़ रुपये के इस ब्रांड को भारतीय महिलाओं ने बेहद पसंद किया, समय के साथ आगे बढ़ना निश्चित रूप से नीना लेखी ने शुरुआत से ही आरंभ कर दिया था।

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कठिन समय

नीना लेखी के लिए महामारी एक चुनौतीपूर्ण समय साबित हुआ, लॉकडाउन के दौरान कंपनी का संचालन दो महीने तक बंद रहा, जिसके परिणामस्वरूप बड़ा नुकसान हुआ। लेकिन उन्होंने अपनी ऊर्जा एक नए बाजार को संबोधित करने, ऑनलाइन चैनल में निष्पादन को मजबूत करने पर केंद्रित किया, और डिजाइनिंग, निर्माण, भंडारण और बिक्री की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में परिचालन क्षमता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया। 

उनका मानना ​​है कि उनकी उपलब्धियों का सही पैमाना व्यवसाय में उनकी प्रगति से नहीं, बल्कि परिवार और अपने प्रियजनों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय से परिपूर्ण एक स्वस्थ जीवन के निर्माण में उनकी सफलता से परिलक्षित होता है।

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परिवार और बिजनेस में बैलेंस

नीना लेखी को हमेशा अपने परिवार का सहयोग मिला। लेकिन उन्हें परेशानी अपनी बेटी की परवरिश और बिज़नेस को एक साथ संभालने में आई। 

शुरुआत के दिनों में वह अपने न्यू बॉर्न बेबी को ऑफिस अपने साथ लाया करती थी, क्योंकि उन्होंने न्यूक्लियर फैमिली में रहने जैसा बोल्ड स्टेप लिया था। उन्होंने अपने कैबिन में चादर के झूले जैसा एक झूला अपनी बेटी के लिए लगाया हुआ था, और इस तरह वह दोनों बैगिट और अपनी बेटी को बराबर वक्त दे पाती थी। 

जब बेटी थोड़ी बड़ी हुई तो वह हफ्ते के 3 दिन बैगिट पर काम करती थी। क्योंकि उसकी बेटी का स्कूल घर से थोड़ा दूर हुआ करता था, इसीलिए उन्होंने पूरे हफ्ते को 2 हिस्सों में बांटा पहला अपने काम के लिए और बाकी वक्त बेटी के साथ वक्त बिताने के लिए रखा।

नीना लेखी ग्लोबल मैप पर इंडियन ब्रैंड बैगिट को मोस्ट लव्ड ब्रैंड बनाना चाहती है, ताकि ऑक्सफोर्ड स्ट्रीस्ट पर भी इस इंडियन ब्रैंड को ढेर सारा प्यार मिले।

अगर आप सच में किसी चीज़ को चाहते हैं आपको उसके लिए काम करना होगा। इसकी शुरुआत होती है एक बड़े सपने से, जो आपको सोने ना दे। अगर आप सो भी रहे हैं तो आपको लगातार सपने भी उसी चीज़ के आ रहे हैं। अगर आपका इरादा पक्का है तो इस सपने को पूरा करने का सफर बेहद खूबसूरत होगा, और उससे भी ज्यादा जरूरी बात ये कि आप जो कर रहे हैं उससे प्यार करना होगा और पूरी मन से उस काम को करना होगा।

Jagdisha नीना लेखी आपका सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ना एक प्रेरणा है। आप अपने क्षेत्र में हर दिन मील के पत्थर स्थापित करें।

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