पारूल चौधरी ने 3000 मीटर स्पर्धा में 6 साल का रिकार्ड तोड़ बनाया नया नेशनल रिकार्ड

भारतीय धाविका पारुल चौधरी महिला 3000 मीटर स्पर्धा में नौ मिनट से कम समय लेने वाली देश की पहली एथलीट बन गईं | 

लॉस एंजिलिस में साउंड रनिंग सनसेट टूर में पारूल ने 2 जुलाई, 2022 को 8 मिनट 57.19 सेकेण्ड के समय के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया |

पारूल से पहले यह रिकार्ड 6 साल पहले 24 अप्रैल, 2016 को सूर्या लोगानाथन ने नई दिल्ली में, इंडियन ग्रैंड प्रिंक्स वन में 3000 मीटर की इस रेस को 9 मिनट 04.5 सेकेण्ड का समय ले नेशनल रिकार्ड बनाया था | 

लेकिन पारूल ने 7 सेकेण्ड के अंतर से इस रिकार्ड को पीछे छोड़ नया राष्ट्रीय कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है | 

उन्होंने पिछले महीने चेन्नई में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में महिला 3000 मीटर स्टीपलचेज का अवार्ड भी जीता था |

पारूल ने यह सिद्ध कर दिया है कि इच्छाशक्ति दृढ़ हो तो, असंभव कुछ भी नहीं | फिर तो केवल कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों को आँखे दिखा चेतावनी दे कहा जाता है, आ संभव कर दूँ |

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आखिरी दो लैप में किया कमाल

महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेज में विशेषज्ञता रखने वाली चौधरी दो लैप्स के साथ पांचवें स्थान पर पीछे चल रही थीं, लेकिन उन्होंने समय रहते बेहतरीन वापसी करते हुए अपने जोरदार प्रदर्शन से न केवल नेशनल रिकार्ड को अपने नाम किया बल्कि पोडियम में तीसरा स्थान भी हासिल कर लिया |

वह दो जगह रुकने के चलते पांचवें स्थान पर चल रही थीं | बाद में वह चीनी धावक वुगा हे और फियोना ओकीफ (यूएस) के बाद तीसरे स्थान पर रहीं |

3000 मीटर गैर ओलंपिक स्पर्धा है, जिसमें भारतीय खिलाड़ी ज्यादातर प्रतिस्पर्धा पेश नहीं करते | पारुल चौधरी अब अमेरिका के ओरेगोन में 2022 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 3000 मीटर स्टीपलचेज में प्रतिस्पर्धा करती नजर आएंगी | उन्होंने साल के शुरुआत में मार्च महीने के दौरान अपना पर्सनल बेस्ट निकाला था और 9:38.29 का समय लेकर रेस पूरी की थी |

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पहली दौड़

पारूल चौधरी इकलौता गांव, मेरठ की रहने वाली है | उनके पिता कृष्णपाल चौधरी और माँ राजेश देवी गरीब किसान है | सरकारी स्कूल से पारुल ने अपनी स्कूली पढा़ई पूरी की |

चार भाई बहनों में तीसरे नंबर की पारुल ने भराला स्थित स्कूल में हाईस्कूल के दौरान पहली दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया था | उसके बाद ब्लाक, जिला, राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में जीत का सफर तय करती हुई इस मुकाम पर पहुंची है | 

गांव के जर्जर टूटे-फूटे रास्तों पर ही पारुल ने दौड़ना शुरू किया था | उनके गांव में खेल के मैदान तक नहीं हैं इसलिए उनके पिता ने अपनी दूसरी बेटी प्रीति के साथ पारुल को शहर भेजा, जिससे वह वहाँ के स्टेडियम में तैयारी कर सके | पारुल की दूसरी बहन भी बेहतरीन खिलाड़ी हैं और वो वर्तमान में दारोगा के पद पर है |

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राष्ट्रीय स्पर्धा में स्वर्ण पदक भी जीता

मार्च, 2022 में केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में एथलेटिक्स फेडरेशन आफ इंडिया की ओर से आयोजित इंडियन ग्रांड प्रिक्स में मेरठ की अंतरराष्ट्रीय धावक पारुल चौधरी ने स्वर्ण पदक जीता और एशियन गेम्स 2022 के लिए क्वालीफाई किया | 

3,000 मीटर स्टेपल चेज को पारुल ने 9:38:29 मिनट में पूरा किया | एशियन गेम्स के लिए क्वालीफाई करने का समय 9.50 मिनट निर्धारित है | 

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व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

पारुल चौधरी के अनुसार 3,000 मीटर के स्टीपल चेज में उन्होंने जितने समय में स्वर्ण पदक जीता है, उतने ही समय में वर्ष 2018 के एशियन गेम्स में रजत पदक था | वह मानती है कि चीन के एशियाई खेलों में प्रतिस्पर्धा कड़ी होगी, इसलिए उन्हें अपनी रफ्तार और बढ़ाने की जरूरत है | उन्हें पूरा भरोसा है कि वह स्वर्ण या रजत पदक लेकर ही आएंगी | 3,000 मीटर स्टीपल चेज में पारुल का  9:38:29 मिनट का समय उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था |

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टोक्यो नहीं जा सकी

इससे पहले पारुल चौधरी 5,000 मीटर दौड़ में टोक्यो ओलिंपिक गेम्स के लिए क्वालीफाई करने से चूक गई थी | रैंकिंग के अनुसार उन्हें चुने जाने का एक मौका था, लेकिन उनकी रैंकिंग नीचे न उतरने से वह टोक्यो जाने से चूक गई थीं | 

फिर क्या इसके बाद पारुल ने रफ्तार पर ध्यान केंद्रित किया और एशियन गेम्स के लिए आयोजित पहले क्वालीफायर में ही लक्ष्य के पहले पड़ाव को पार कर लिया | एशियन गेम्स 10 सितंबर से 25 सितंबर तक चीन के होंगझो शहर में होगा |

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बहुत से मेडलों को किया है अपने नाम

पारुल के घर में एक खास कमरा है जो पारुल की मेहनत को दर्शाता है | यह प्रमाण है कि देश की नंबर वन धावक बनने से पहले पारुल ने किस-किस मेडल को अपने नाम किया |

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पारुल की भाभी पूजा का कहना है कि उन्हें गर्व है कि वो ऐसे घर की बहू हैं, जहाँ बेटियों को आगे बढ़ने की पूरी स्वतंत्रता मिलती है | वे कहती हैं कि अपनी बेटी को भी आगे चलकर खेलों में भेजेंगी |

वहीं, पारुल की माताजी राजेश देवी का कहना है कि उन्होंने कई मजबूरियां झेली, लेकिन बच्चों के लिए किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होने दी | ईश्वर सबको ऐसी बेटी दे जो परिवार का नाम ऊँचा करें |

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मिल रहीं है बधाईयाँ

उनकी माँ राजेश देवी बेटी की उपलब्धि पर फूले न समा रहीं | उनके पिता ने एक मीडिया साक्षात्कार में बताया कि लोगों के बधाई संदेश लगातार आ रहे हैं |

पारुल चौधरी के राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ने से स्थानीय खिलाडियों में जोश और हर्ष का माहौल है |

केंद्रीय युवा और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पारुल की उपलब्धि पर ट्वीट किया है | 

जिला एथेलेटक्स संघ के सचिव अनूप कुमार ने बताया कि मेरठ जैसे शहर जहाँ एथेलेटिक्स खेलों को लेकर सुविधाओं का नितांत अभाव है | ऐसी जगह से निकल राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ना गर्व की बात है |

सफलता मिलना आसान नहीं, उसके लिए अपना पूरा समय, लगन, और निरंतर अभ्यास आवश्यक है | क्योंकि बोलने वाले सिर्फ बोलते रह जाते है और करने वाले करके दिखा देते हैं | इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास के साथ अगर अपने लश्य के पिछे दौड़ा जाए तो सफता निश्चित ही मिलती हैं |

Jagdisha हमारी शुभकामनाएं है कि आप नए मील के पत्थर स्थापित कर देश को गौरवान्वित करती रहें |

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