Padma Shri Awardee 2021-पर्वतारोही जिन्होंने 5 दिनों मे सबसे तीर्व गति से दो बार की माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई, साथ ही कर चुकी हैं 5 बार माउंट एवरेस्ट पर फतह

 “महान कार्य करने में पहली प्राथमिकता आत्मविश्वास का होना हैं।”

अरूणाचल प्रदेश की रहने वाली 41 वर्षीय डा. अंशु जमसेंपा पांच बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुकी हैं। अंशु एक ही सीजन में दो बार केवल पाँच दिनों मे माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने वाली पहली महिला पर्वतारोही हैं। यह एक महिला द्वारा सबसे ऊंचे शिखर की सबसे तीर्व दोहरी (double) चढ़ाई का कीर्तिमान हैं, जो अंशु जमसेंपा के नाम हैं। उन्हें इस शानदार उपलब्धि के लिए इस साल (2021) गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है।

डा. अंशु का जन्म अरूणाचल प्रदेश के दिरांग में हुआ था| उनके पिता इंडो तिब्बत बॅार्डर पर पुलिस ऑफिसर हैं और मां नर्स हैं।

डा. अंशु अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी कामेंग जिले के बोम्डीला की निवासी हैं। वह बोम्डीला इलाके के मोनपा कबीले से आती हैं। विवाह से पहले वह सोनितपुर जिले के गोहपुर में रहती थी और उनका नाम दीपिका कलिता था। उनके पति, सेरिंग वांग अरुणाचल पर्वतारोहण और साहसिक खेल एसोसिएशन (Arunachal Mountaineering and Adventure Sports Association) के अध्यक्ष हैं। वह दो बेटियों की मां हैं।

उन्होंने 2009 में पर्वतारोहण (mountaineering) की शुरुआत की थी। अरूणाचल माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स एसोसिएशन के लोगों ने अंशु की प्रतिभा देखकर उन्हें माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। और एक बार जब उन्होंने एवरेस्ट पर चढ़ाई की शुरुआत की तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।




12 मई 2011 में डा. अंशु ने अपनी सबसे पहली माउंट एवरेस्ट पर चढ़ कर फतह की| और 10 दिनो के अंतराल यानी 21 मई 2011 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर दूसरी बार चढ़ाई चढ़ कर इतिहास रचा| दोहरी चढ़ाई चढ़ने वाली वह दुनिया की पहली महिला, एक मां और महिला पर्वतारोही थी। अपने अभियान के दौरान वह चाओ ला (5330 मीटर), रेनो (5360) और कांगमा ला (5533 मीटर) की मुश्किल चढ़ाई से गुजरी थीं।
डा. अंशु ने अपनी तीसरी चढ़ाई 13 मई 2013 को रात 1.45 बजे शुरू की थी और हिमालय की तीन चोटियां लोबुच (6119 मीटर), पोखालडे (5896 मीटर) और आइसलैंड (6189) पर चढ़ाई चढ़ 18 मई 2013 की सुबह 9 बजे फतह हासिल की।

2 अप्रैल, 2017 को 14वें दलाई लामा से आशीर्वाद लेने के बाद उन्होंने गुवाहाटी से एवरेस्ट चढ़ाई अभियान शुरू किया था। उन्होंने एवरेस्ट बेस कैंप (17,600 फीट) में अनुकूलन के लिए 38 दिन का समय लिया और 4 अप्रैल को उनकी मुख्य यात्रा शुरू की 16 मई को 9:15 बजे, 17 अन्य पर्वतारोहियों के साथ, उन्होंने चौथी बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़क भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराया। 19 मई को उन्होने एक नेपाली पर्वतारोही फरी शेरपा के साथ अपनी पाँचवी चढ़ाई और सीजन के दूसरे कठिन दौरे की शुरुआत की। उन्होंने 10 बजे तक लगातार लम्बी पैदल यात्रा बिना किसी रुकावट के साथ की और अगली सुबह फिर चढ़ाई शुरू कर दी अंततः 21 मई, 2017 को 7:45 बजे शीर्ष पर पहुंच कर अपना परचम लहराया।

डा. अंशु जमसेंपा ने 118 घंटे 15 मिनट, लगभग 5 दिनों मे सबसे तीर्व दोहरी चढ़ाई का खिताब (record) अपने नाम कर इतिहास रच दिया|

उनके इस खिताब के लिए अरुणाचल प्रदेश सरकार ने तेंज़िंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार के लिए उनका नाम सुझाया| 25 सितम्बर 2018 नई दिल्ली, राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने डा. अंशु जमसेंपा को तेंज़िंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से सम्मानित किया|

डा. अंशु जमसेंपा “स्वच्छ भारत अभियान” (2012-13) में ब्रांड एम्बेसडर बनी थी। वह पूर्वोत्तर पर्यटन की ब्रांड एम्बेसडर हैं।

डा. अंशु को 30 जून 2011 को नई दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (भारत) द्वारा सीएनएन-आईबीएन यंग इंडियन लीडर अवार्ड से सम्मानित किया गया।

2 जून 2012 को, उन्हें गुवाहाटी में भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (FICCI) द्वारा वूमन अचीवर ऑफ द ईयर 2011-12 से सम्मानित किया गया।

31 जनवरी 2017 को उन्हें I G पार्क ईटानगर में आयोजित एक समारोह में अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा पर्यटन आइकन ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिसमें राज्यपाल पद्मनाभ आचार्य मुख्य अतिथि थें।
डा. अंशु जामसेनपा को अरुणाचल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडीज द्वारा फील्ड एडवेंचर स्पोर्ट्स में उनकी उपलब्धियों और क्षेत्र को गौरवान्वित करने के लिए पीएचडी से सम्मानित किया गया था|

शिखर की चोटी को चुमने के अलावा, डा. अंशु पर्वतारोहियों को प्रशिक्षण दे रही है और उन्होंने अपनी क्षमता से 3,000 से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है। उनका लक्ष्य एक संस्थान खोलने का है जो लोगों को साहसिक खेलों के साथ-साथ पर्वतारोहण में प्रशिक्षित करने में मदद कर सके|

अंत मे Jagdisha का अपने पठको को यही संदेश हैं “लिंग, जाति अमीर-गरीब या ऊँच-नीच के आधार पर न तो कभी किसी को सफलता मिली और न ही कभी मिल सकती है| सफलता की महत्वपूर्ण कूँजी है स्वयं पर पूर्ण विश्वास और इरादो मे दृढ़ता|”

Jagdisha की ओर से डा. अंशु जामसेनपा को अनेकानेक शुभकामनाएं और नारी शक्ति को प्रणाम|

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