15 वर्ष की Jyoti Kumari ने किया कमाल, पिता को बैठाकर साईकिल से तय किया 8 दिनो में 1200किमी. का सफर

संसार मे ऐसा कुछ भी नही, जो असम्भव हो | जो हम सोचते है वो सब हम कर सकते है | हर बन्द रास्ते के बाद एक नया रास्ता आवश्यक खुलता है | ऐसा ही कुछ हुआ ज्योति कुमारी के साथ जब कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की घोषणा की गई | ज्योति कुमारी के पिता गुरुग्राम में रिक्शा चलाते थे और वे एक दुर्घटना मे घायल हो गए थे | जिस कारण कोई आमदनी भी नही थी | ऐसे मे 15 वर्षीय ज्योति कुमारी ने हिम्मत नही हारी और पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से दरभंगा तक का रास्ता तय कर दिया | इस साहसिक काम के बाद उन्हें भारतीय साइकिलिंग महासंघ ने एक बड़ा प्रस्ताव दिया है |
दरभंगा जिला के सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव के रहने वाले ज्योति कुमारी के पिता मोहन पासवान गुरुग्राम में रहकर ऑटो चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे | वहाँ वे दुर्घटना के शिकार हो गए थे | दुर्घटना की खबर मिलने के बाद जनवरी में ज्योति अपनी मां और जीजा के साथ गुरुग्राम आई थी और फिर पिता की देखभाल के लिए वहीं रुक गई | इसी बीच मार्च मे कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की घोषणा हो गई थी | चुँकि उनके के पिता का काम बिल्कुल बन्द हो गया | ऐसे में निजी जरुरतों का पूरा होना असम्भव हो गया था तब ज्योति ने पिता के साथ साइकिल पर वापस गांव का सफर तय करने का फैसला किया | सलाम है ऐसी सोच और हिम्मत भरे जज्बे को |

ज्योति कुमारी सिर्फ 15 वर्ष की है और उन्होंने केवल 8 दिनो मे गुरूग्राम से दरभंगा लगभग 1200किमी. का सफर अपने घायल पिता को साईकिल पर बैठाकर पूरा कर लिया | 100 से 150 किमी. रोज का सफर वो भी इतनी कम उम्र असम्भव सा लगता है परन्तु यह सच किया है ज्योति कुमारी ने |

भारतीय साइकिलिंग महासंघ के निदेशक वीएन सिंह ने कोरोना वायरस के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंची ज्योति को बड़ा प्रस्ताव दिया है | असोसिएशन ने उन्हें ‘क्षमतावान’ बताते हुए कहा कि हम ज्योति को ट्रायल का मौका देंगे और अगर वह सीएफआई के मानकों पर थोड़ी भी खरी उतरती हैं तो उन्हें विशेष ट्रेनिंग और कोचिंग मुहैया कराई जाएगी | और लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब भी मौका मिलेगा वह दिल्ली आए और उनका इंदिरा गांधी स्टेडियम में एक छोटा सा टेस्ट लिया जाएगा। उनके पास वाटबाइक होती है जो स्थिर बाइक है |
इस पर बच्चे को बैठाकर चार-पांच मिनट का टेस्ट किया जाता है | इससे पता चल जाता है कि खिलाड़ी और उसके पैरों में कितनी क्षमता है | वह अगर इतनी दूर साइकिल चलाकर गई है तो निश्चित तौर पर उनमें क्षमता है |
एचटी मीडिया समूह की वेबसाइट लाइव मिंट पर चल रही ज्योति की कहानी को 22 मई को इवांका ट्रम्प ने ट्विटर पर साझा किया था | ‘हिन्दुस्तान’ पहले ही ज्योति की संघर्षपूर्ण कहानी सामने ला चुका था, जिसके बाद कई लोग और संगठन उनकी तथा उनके परिवार की मदद के लिए सामने आए हैं |
अब उनके ऊपर फिल्म बनने जा रही है | ज्योति खुद ही इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाएगी | इस फिल्म का निर्देशन कृष्णा करने जा रहे हैं |
इस फिल्म का शीर्षक आत्मनिर्भर होगा | इस फिल्म की हिंदी, अंग्रेजी और मैथिली भाषाओं के साथ-साथ अन्य भाषाओं में डबिंग की जाएंगी | कृष्णा के अनुसार अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए, फिल्म का शीर्षक ‘ए जर्नी ऑफ ए माइग्रेंट’ होगा और फिल्म को 20 भाषाओं में शीर्षक दिया जाएगा |
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