एक पत्रकार और माॅं से ऑटिज्म राइट एक्टिविस्ट का सफर | कौन हैं मुग्धा कालरा?

एक माॅं, जो अपने बच्चे की बात आई तो न्यूरोडायवर्सिटी को समझा व एक पत्रकार के साथ-साथ बन गईं ऑटिज्म एक्टिविस्ट।

ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे की माॅं होने के नाते उन्होंने एक कमजोर व्यक्तित्व की देखभाल करने की कसौटियों और समस्याओं को करीब से समझा व जाना है।

बच्चे का जन्म हर माता-पिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। बच्चे की पहली किलकारी मानों नए उत्साह का संचार करती है। बच्चे का जन्म खुशी के माहौल के साथ-साथ बहुत सी जिम्मेदारियों का भी आगाज़ होता है।

जब मुग्धा कालरा को बेटा हुआ तो उनका जीवन भी पूरी तरह से बदल गया। जब उनका बेटा चार साल की उम्र का हुआ तब उन्हें, उसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम के होने का पता चला था। 

यह एक माता-पिता के लिए दिल तोड़ने वाला है। लेकिन इसे झुठलाया तो नहीं जा सकता था। फिर मुग्धा कालरा की स्वीकृति की यात्रा शुरू हुई। साथ ही उन्हें यह अहसास भी हुआ कि एक विशेष आवश्यकता वाले बच्चे की एक माँ के रूप में देखभाल करने के लिए पूरी तरह से अलग स्तर की दृढ़ता की आवश्यकता होती है।

आइये जानते हैं मुग्धा कालरा का ऑटिज्म राइट एक्टिविस्ट बनने का का सफर…

यह भी पढ़ें- कैलिग्राफी के हुनर कैसे बदला पूजा ने एक मुनाफे के बिज़नेस में

न्यूरोडायवर्सिटी का क्या अर्थ है

न्यूरोडायवर्सिटी, यानी मानव मस्तिष्क के भीतर प्राकृतिक विविधताओं का वर्णन करने वाला शब्द है, जो अक्सर अनुभूति, सामाजिकता, सीखने, ध्यान और मनोदशा को प्रभावित करता है। अन्य व्यवहारों के बीच जो किसी को कुछ क्षेत्रों में उत्कृष्ट बना सकते हैं, जबकि अन्य कार्यों को चुनौतीपूर्ण पाते हैं।

न्यूरोडायवर्सिटी शब्द का उपयोग वैकल्पिक सोच शैलियों जैसे डिस्लेक्सिया, डिस्प्रेक्सिया, डिस्काकुलिया, ऑटिज़्म और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) का वर्णन करने के लिए किया जाता है।

ऑटिज्म, मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। हिन्दी में इसे आत्मविमोह और स्वपरायणता भी कहते हैं। इससे प्रभावित व्यक्ति, सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना। इसका प्रभाव बच्चे के तीन साल होने से पहले ही दिखने लगता है।

यह भी पढ़ें- 300 रूपये लेकर घर से निकली और अब है 40 करोड़ का टर्नओवर

कौन है मुग्धा कालरा?

मुग्धा कालरा एक पत्रकार हैं। उन्हें प्रसारण पत्रकारिता में 2 दशकों से अधिक का अनुभव है। 

वह ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) द्वारा 2021 की दुनिया की शीर्ष 100 सबसे प्रेरक और प्रभावशाली महिलाओं में से एक के रूप में स्थान प्राप्त कर चुकी हैं। जिसमें परोपकारी और व्यवसायी मेलिंडा फ्रेंच गेट्स और प्रशंसित नाइजीरियाई लेखक और नारीवादी आइकन चिमामांडा नोगोज़ी अदिची को स्थान मिला था। 

वह एक ऑटिज्म कार्यकर्ता और “नॉट दैट डिफरेंट” आंदोलन की सह-संस्थापक हैं। 

मुग्धा कालरा को कंटेंट स्ट्रैटेजी, सोशल मीडिया क्यूरेशन, फीचर राइटिंग, फिक्शन राइटिंग, स्क्रीनप्ले राइटिंग, रिपोर्टिंग और न्यूज प्रेजेंटिंग में विशेषज्ञता प्राप्त है।

उन्होंने नेटवर्क 18 के लिए विविध विषयों पर कई विशेष कार्यक्रमों की मेजबानी भी की है। वह एक वृत्तचित्र (डाॅक्यूमेंट्री) लेखिका भी हैं। 

उनका काम नेटफ्लिक्स और ऑडिबल जैसे कई प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। वह एक कॉर्पोरेट ट्रेनर और रेनमेकर ऑन डायवर्सिटी एंड इंक्लूजन के साथ लेखिका भी हैं। 

मुग्धा कालरा एक प्रमाणित सचेतन कोच भी हैं।

यह भी पढ़ें- रोज-रोज की मारपीट और प्रताड़ना के बाद बच्चों के भविष्य के लिए किया कुछ ऐसा कि आज हैं करोड़ों की मालकिन

बेटा ऑटिज्म से प्रभावित है, यह पता चलने पर जीवन में कैसे हुआ बदलाव?

जब मुग्धा कालरा को बेटे का ऑटिज्म से पीड़ित होने का पता चला, तो दुःख हुआ व क्रोध भी आया। लेकिन इस बात को स्वीकार तो करना ही था।

फिर उन्होंने थेरेपिस्ट और अधिक अनुभवी माता-पिता से बात करने से लेकर स्वयं ऑटिज़्म पर बड़े पैमाने पर शोध करना आरंभ किया।  

पहले उन्हें लगा था कि उनके बेटे को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता है तो वह कभी काम नहीं कर पाएंगी, और उनका करियर मानों समाप्त हो गया था। 

लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया। 

2015-2016 के आसपास, मुग्धा कालरा ने अपने ब्लॉग मुग्धा के साथ ऑटिज्म टेल्स की शुरुआत की।

उन्होंने अपने ब्लॉग पर ऑटिज़्म से संबंधित जानकारी देना शुरू किया और उन्हें इसी तरह की स्थितियों में उलझे अन्य माताओं के बारे में भी पता चला।

उस दौरान उसके तीन जन के छोटे परिवार ने दिल्ली से बैंगलोर का रुख किया। और उन्होंने लगभग तीन साल का करियर ब्रेक लिया। वह उस समय क्रोध, दुःख, स्वीकार करने और लड़ने की अपनी आंतरिक यात्रा से गुजर रहा थी।  

ब्लॉग लिखने से उन्होंने जाना कि वह अकेली व्यक्ति नहीं थी जो इससे गुजर रही थी। ब्लॉग को मिली अपार प्रतिक्रिया ने मुग्धा कालरा को नई दिशा प्रदान की। यही वह समय था जब उन्हें सही मायने में लोगों तक पहुंचने और अपना एक समुदाय बनाने की शक्ति समझ में आई।

सिर्फ अपने बच्चे पर ध्यान केंद्रित करने से, मुग्धा कालरा पूरी तरह से न्यूरोडायवर्सिटी के बारे में और अधिक जानने के लिए आगे बढ़ी। और जो अपनों की देखभाल में अपना समय व्यतीत करते हैं उनके लिए क्या किया जा सकता है।

उन्होंने देखभाल करने वाले समुदाय के साथ अधिक बातचीत करना शुरू किया। अब चाहे परिवार के किसी सदस्य, जीवनसाथी या बच्चे की देखभाल हो, कोई भी वास्तव में देखभाल करने वाली महिला के मानसिक स्वास्थ्य की परवाह नहीं करता है।

ख़ैर यह तो बहुत बड़ी विडंबना है कि जो माॅं, पत्नी अपना पूरा जीवन परिवार के अन्य सदस्यों की देखभाल और उनकी सुख-सुविधाओं के बारे में सोचने में गंवा देती है, उनकी देखभाल करने वाला या उनकी असुविधा के बारे में कोई नहीं सोचता।

एक माँ के रूप में, एक महिला के रूप में, किसी के लिए यह कहना आसान है कि देखभाल करना आपका काम है।

मुग्धा कालरा का बेटा माधव अब 12 साल का है और मुंबई के एक विशेष स्कूल में पढ़ता है‌। जब वह अपने बेटे के स्कूल में एक गर्भवती शिक्षिका से मिली थी, तब उन्होंने जाना कि शिक्षिका को उसकी सास द्वारा निर्देश दिया गया था कि वह उस वातावरण में न रहे क्योंकि उसका “गर्भ नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित होगा।” 

मुग्धा कालरा ने इस तरह की परिस्थितियों से जूझती महिलाओं का समर्थन करने के बारे में इतनी दृढ़ता से महसूस किया कि उन्होंने इसके बारे में मुखर रूप से लिखना शुरू कर दिया। 

जब फेसबुक और इंस्टाग्राम की लहर शुरू हुई, तो उन्होंने वीडियो बनाना शुरू कर दिया और देखभाल करने वाले समुदाय के लिए जागरूकता और समर्थन बढ़ाने के लिए सहयोगियों और हितधारकों के साथ जुड़ गई।

साथ ही वह माता-पिता को विशेष आवश्यकता वाले अपने बच्चों के लिए सही उपचार खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है। 

समझें कि उनकी सीखने की शैली क्या है और देखें कि क्या उन्हें चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात, वह माता-पिता से अपने बच्चों को लोगों के सामने लाने का अनुरोध करती है।

एक व्यावसायिक पत्रकार के रूप में, मुग्धा कई कॉर्पोरेट हितधारकों, सीईओ और अन्य नेताओं से मिलती हैं, जिनकी आवाज़ मायने रखती है।

यह भी पढ़ें- नॉएडा की एक महिला एंटरप्रेन्योर ने बनाई 100 परसेंट बायोडिग्रेडेबल बोतल

कैसे आया नॉट दैट डिफरेंट किताब लिखने का विचार

ऑटिज्म टेल्स के माध्यम से इस यात्रा में मुग्धा कालरा को एक और अहसास हुआ। उन्हें लगा कि हम अपने समुदाय के भीतर ही अपने बच्चों के लिए एक सपोर्ट सिस्टम बना रहे हैं। 

वह नहीं चाहती थी कि सभी विशेष आवश्यकता वाले परिवार केवल विशेष आवश्यकता वाले परिवारों के साथ बातचीत करें। वहाँ बाहर एक दुनिया है। और उनके बच्चे को उस दुनिया का हिस्सा बनने की जरूरत है, इसलिए उसमें समावेश होना आवश्यक है। 

इस सोच के साथ ही मुग्धा कालरा को नॉट दैट डिफरेंट किताब लिखने का विचार आया।

मुग्धा कालरा का मानना ​​​​है कि बच्चों को न्यूरोडायवर्सिटी को समझने में मदद करने से समावेशी और साथ ही एकीकृत व्यवस्था बनाने में मदद मिल सकती है। फिर चाहे वे स्कूलों में हों या बाद में कार्यस्थलों पर। 

इसलिए, उन्होंने बुकोस्मिया और उनके चित्रकारों की अविश्वसनीय टीम के साथ मिलकर बच्चों, शिक्षकों, माता-पिता, और वयस्कों के लिए एक कॉमिक बुक तैयार की। जो केवल एक शिक्षण सहायता से कहीं अधिक है।

कॉमिक बुक छोटे बच्चों को ऑटिज़्म समझाने के लिए है। यह विशेष आवश्यकता वाले बच्चे के भाई-बहनों और माता-पिता के लिए भी है क्योंकि इससे ऑटिज्म जैसी कठिन अवधारणा के बारे में बात करना आसान हो जाता है।

मुग्धा कालरा अब स्कूलों तक पहुंचने और न्यूरोडायवर्स बच्चों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए उनके साथ काम करने में प्रयासरत है।

यह भी पढ़ें- लेडीज अंडरगार्मेंट्स को भारत का पहला ई कॉमर्स ब्रांड बना देने वाली महिला एंटरप्रेन्योर

बीबीसी सूची में आया नाम

जब बीबीसी ने 2021 में दुनिया भर से 100 प्रेरक और प्रभावशाली महिलाओं की अपनी सूची जारी की, तो मुग्धा कालरा उन दो भारतीयों में से एक थीं जिन्होंने इस सूची में जगह बनाई।

बच्चों के लिए एक न्यूरोडायवर्सिटी जागरूकता सत्र में अवसरों के लिए चुनौतियों के बीच बीबीसी से मिली पहचान ने कई दरवाजे खोल दिए।

अब, मुग्धा कालरा कार्यस्थल में देखभाल करने वालों और विकलांगता जागरूकता की ओर अग्रसर हैं। 

2021 में, सरकार ने विकलांग व्यक्तियों के लिए 2021 की एक नई प्रारूप नीति जारी की, जिसमें उनके कल्याण के लिए कई उपायों का प्रस्ताव है। 

इससे पहले, विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 ने विकलांगों की संख्या को सात से बढ़ाकर 21 कर दिया था, जिसमें ऑटिज्म और अन्य न्यूरोडायवर्स स्थितियां शामिल हैं।

मुग्धा कालरा, माता-पिता के साथ और विकलांगों के लिए अवसरों के बारे में उनसे बात करती है। अब चाहे वह नौकरी के लिए आवेदन कैसे करें, या इसमें क्या शामिल है। 

वह यूडीआईडी ​​के बारे में जागरूकता फैलाती है। और माता-पिता अपने बच्चों की ओर से इसके लिए कैसे आवेदन कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें- 88 साल की यह नानी अचार बेचकर जरूरतमंदों की कर रहीं हैं मदद

क्या है यूडीआईडी

सरकार ने विकलांग व्यक्तियों के लिए कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान की है, जिससे उन्हें अपने जीवन की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने और आसान बनाने में मदद मिलती है। 

इसी प्रकार केंद्र सरकार ने विकलांग लोगों के सशक्तिकरण विभाग ने अद्वितीय विकलांगता आईडी कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए है। 

सरकार विकलांग लोगों को यूनिक विकलांगता आईडी कार्ड और विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करेगा। 

स्वावलम्बन के ऑनलाइन पोर्टल पर विकलांग लोग ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। इसके साथ ही आप अपने आवेदन की स्थिति और यूडीआईडी कार्ड डाउनलोड भी कर सकते है।

यह भी पढ़ें- कॉपेरेटिव वर्ल्ड की शक्तिशाली वकील और उद्यमी ज़िया मोदी की सफलता की कहानी

Jagdisha मुग्धा कालरा आपके प्रयासों को हमारा प्रणाम।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ