रिसेप्शनिस्ट से लेकर कॉरपोरेट वर्ल्ड में बेशुमार ख्याति प्राप्त करने तक की सफल सीईओ की कहानी

कामयाब और शक्तिशाली महिलाओं में से एक इंद्रा नुई पेप्सिको कंपनी की चीफ एक्जेक्यूटिव ऑफिसर (CEO) और अध्यक्ष (Chairman) रह चुकी हैं | पेप्सिको कंपनी अमेरिका में पेय पदार्थ और खाद्य व्यवसाय से जुड़ी विश्व की सबसे बड़ी दूसरी कंपनी है |

इंद्रा नुई के नेतृत्व में पेप्सिको का रेवेन्यू साल 2006 के 35 अरब डॉलर से बढ़कर 63.5 अरब डॉलर हो गया | उन्होंने जो भी कार्यनीति बनाई वो हमेशा सफल रही | उनकी बनाई हर रणनीति हमेशा सफल हुई |

साल 2018 में वह पेप्सिको के सीईओ के पद से रिटायर हुईं |

‘माई लाइफ इन फुल: वर्क, फैमिली एंड अवर फ्यूचर’ नाम की 300 पन्नों की इस किताब में इंद्रा नूई ने अपने पूरे जीवन की कहानी बताई है |

इंद्रा नूई की यह किताब एक संस्मरण है, जिसमें उन्होंने बाल्यकाल से लेकर पेप्सिको की मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनने तक की सभी घटनाओं का उलेख किया है |

प्रसिद्ध पत्रिका फोर्ब्स की ‘दुनिया की प्रभावशाली महिलाओं’ की सूचि में उनका नाम लगातार कई सालों तक रहा | साल 2014 में वे फ़ोर्ब्स की इस सूचि में 13वें स्थान पर थीं | 

इंद्रा नूई येल कॉरपोरेशन में सक्सेसर फेलो, न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व के निदेशक बोर्ड की स्तर बी की निदेशक, कैटेलिस्ट के बोर्ड और लिंकन प्रदर्शन कला केंद्र की एक सदस्य हैं | 

वे एइसेन्होवेर फैलोशिप के न्यासी बोर्ड की सदस्य हैं | उन्होंने यू.एस-भारत व्यापार परिषद में सभाध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी हैं |

भारत सरकार की ओर से इंद्रा नुई को साल 2007 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया | 

2018 में उन्हें सीईओवर्ल्ड (CEOWORLD) पत्रिका द्वारा दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सीईओ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया | 

उनका नाम दो बार टाईम मैगजीन की ‘दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची’ में भी आ चुका है |

इंद्रा नूई का मानना है कि अच्छे कर्मचारियों को कंपनी से जोड़ने के लिए कंपनी में अच्छा माहौल होना चाहिए | वहां पर कर्मचारियों की तरक्की होनी चाहिए, तभी लोग काम करने के लिए प्रेरित होते हैं |

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हमें कभी भी कठिन यात्रा को नहीं देखना चाहिए बल्कि हमें यात्रा के पूरा होने पर मिलने वाले लक्ष्य और खुशी को देखना चाहिए | इससे कठिनाईयों से पार जाने की ताकत मिलती है |

आइये जानते है इंद्रा नुई के बारे मे…..

प्रारंभिक जीवन

इंदिरा कृष्णमूर्ति नुई का जन्म 28 अक्टूबर 1955 में तमिल lनाडु के मद्रास शहर (वर्तमान में चेन्नई) में एक तमिल परिवार में हुआ था | 

उनके पिता ‘स्टेट बैंक ऑफ़ हैदराबाद’ में अधिकारी थे | उनके दादा जी जिला न्यायाधीश थे | 

उनकी प्रारंभिक शिक्षा मद्रास के होली एन्जिल्स एंग्लो इंडियन हायर सेकेंडरी स्कूल में हुई | उन्होने साल 1974 में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित विषय में अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त की | 

फिर उन्होंने भारतीय प्रबंध संस्थान, कोलकाता, में प्रवेश लिया जहाँ से साल 1976 में प्रबंधन में स्नातकोत्तर किया |

उन्होंने बॉम्बे में परमाणु ऊर्जा विभाग में समर इंटर्नशिप हेतु काम किया | उन्होंने बूज एलेन हैमिलटन में भी इंटर्नशिप की थी |

इंद्रा नूई ने भारत में अपना करियर जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी में प्रोडक्ट मेनेजर के रूप में प्रारंभ किया | उन्होंने टेक्सटाइल फर्म ‘मेत्टर बर्डसेल’ के साथ भी कार्य किया | 

अमेरिका में शिक्षा के साथ की रिशेप्शनिस्ट की नौकरी

साल 1978 में इंद्रा नुई ने अमेरिका स्थित प्रसिद्ध येल यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया जहाँ से उन्होंने ‘पब्लिक और प्राइवेट मैनेजमेंट’ का अध्ययन किया |

यहाँ से उन्होंने साल 1980 में सार्वजनिक व निजी प्रबंधन में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की | 

जब वे येल में पढ़ रही थीं तो उन्होंने नाइट शिफ्ट में रिसेप्‍शनिस्‍ट के तौर पर भी काम किया | यह नौकरी उन्होंने अपने पहले जॉब इंटरव्यू के लिए एक वेस्टर्न सूट खरीदने के लिए पैसे जुटाने की मंशा से की |

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वेस्टर्न सूट में थी असहज, नहीं हुई पहले इंटरव्यू में सलेक्ट

इंद्रा नुई अमेरिका में जब पहली बार जॉब इंटरव्यू देने जा रही थीं तब उनके पास कोई बिजनेस सूट नहीं था | उन्होंने अपनी 50 डॉलर की पूरी सेविंग से दो बटन वाली एक डार्क ब्लू पॉलिएस्टर जैकेट और एक मैचिंग स्लैक्स खरीदी |

वह कपड़े ट्राई करके देखना चाहती थीं, लेकिन पहले कभी चेंजिंग रूम का इस्तेमाल न करने के कारण उन्होंने ऐसा नहीं किया | यह उनकी जिंदगी का पहला सबसे बड़ा खर्च था |

इंटरव्यू वाले दिन इंद्रा नुई जब इंटरव्यू के लिए तैयार हुई तो पाया कि उनकी जैकेट काफी बड़ी है और स्लैक्स थोड़ी छोटी | लेकिन वह समय कपड़े एक्सचेंज करने का नहीं था |

इंटरव्यू के लिए उन्होंने इस आउटफिट में एक फिरोजी रंग के पॉलिएस्टर ब्लाउज को भी जोड़ा, जिस पर लाइट ब्लू और डार्क ब्लू कलर की लंबवत धारियां थीं | 

जब वे इंटरव्यू के लिए पहुँची तो वहाँ सब उन्हें देखकर हंस रहे थे | जिस कारण वे बहुत असहज महसूस कर रही थीं | 

इंटरव्यू देने के बाद, वह इंटरव्यू हॉल से निकलकर सीधा अपने करियर डेवलपमेंट डायरेक्टर जेन मॉरिसन के पास गईं और उन्हें अपनी समस्या बताई | 

जेन ने जब उनसे पूछा कि वे भारत में होतीं तो क्या पहनतीं तो उन्होंने जवाब दिया था साड़ी | इस पर उनके डायरेक्टर ने अगली बार साड़ी ही पहनने की सलाह दी | साथ ही उन्होंने इंद्रा नूई से कहा कि अगर वे आपको नौकरी नहीं देते हैं तो ये उनका नुकसान होगा | जो हो, वही रहो |

वे उस इंटरव्यू में सलेक्ट नहीं हुईं | इसके बाद उन्होंने अपने प्रोफेसर की सलाह पर अगले इंटरव्यू में साड़ी पहनी जिसमें वह काफी आरामदायक अनुभव भी करती थी और सहज ही सलेक्ट हो गईं |

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पेप्सिको से पहले

साल 1980 में उन्होंने येल से अपनी प्रबंधन की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात अमेरिका में ही काम करने का फैसला किया |

फिर इंद्रा नुई बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) में शामिल हुईं, जहां उन्होंने 6 साल कंसल्टेंट के तौर पर काम किया |

1986-90 के बीच उन्होंने मोटोरोला कंपनी में कॉरपोरेट स्ट्रैटजी की उपाध्यक्ष के तौर पर कार्य किया | और मोटोरोला के ऑटोमोटिव और इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स के विकास की जिम्मेदारी संभाली |

वे इंजीनियरिंग कंपनी एसिया ब्राउन बॉवेरी (ABB) में एग्जीक्यूटिव के पद पर रहीं |

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पेप्सिको में करियर

इंद्रा नुई साल 1994 में पेप्सिको कंपनी के साथ कॉरपोरेट स्ट्रैटेजी व डेवलपमेंट की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के रूप में कार्यरत हुईं | 

जब वे पेप्सिको में शामिल हुईं थी, उस वक्त अमेरिका की 500 सबसे बड़ी कंपनियों में से एक में भी महिला सीईओ नहीं थी | 

साल 2001 में उन्हें कंपनी की चीफ फाइनेंस ऑफिसर (CFO) बनाया गया और साल 2006 में वह कंपनी की अध्यक्ष व चीफ एक्ज़ेक्युरीव ऑफिसर (CEO) के पद पर पहुँच गईं | 

2006 में अमेरिका में 11 महिला सीईओ थीं | इंद्रा नुई पेप्सिको की 5वीं और पहली महिला सीईओ थीं | 

इंद्रा नुई की गिनती दुनिया की प्रख्यात सीईओ में होती हैं | उनके नेतृत्व में पेप्सिको का रेवेन्यु साल 2006 के 35 अरब डॉलर से बढ़कर साल 2017 में 63.5 अरब डॉलर हो गया | 

पेप्सिको को आगे ले जाने की उनकी लगभग सभी रणनीतियां सफल रहीं | वह पेप्सिको की दीर्घकालिक विकास रणनीति की शिल्पकार मानी जाती हैं, जिसके अंतर्गत उन्होने एक दशक से अधिक समय तक कंपनी की वैश्विक रणनीति का निर्देशन किया है |

इंद्रा नुई ने पेप्सिको के पुनर्गठन का भी नेतृत्व किया, जिसमें ट्रोपिकाना (1998) का अधिग्रहण और क्वेकर ओट्स कंपनी का विलय (2001) शामिल हैं |

12 वर्षों तक सीईओ पद का सफलता पूर्वक निर्वाह करने के बाद अक्टूबर 2018 में उन्होंने रिटायरमेंट लिया |

फरवरी 2018 में, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने इंद्रा नुई को आईसीसी बोर्ड की प्रथम आत्मनिर्भर महिला के रूप में शामिल किया था |

इंद्रा नुई 2019 में ऐमजॉन बोर्ड में शामिल हुईं हैं |

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व्यक्तिगत जीवन

25 साल की उम्र में इंद्रा नुई ने बिज़नेसमेन राज नूई से शादी की | उनकी दो बेटियाँ है, बड़ी बेटी का नाम तारा नुई और छोटी बेटी का नाम प्रीता नुई है |

उनकी बड़ी बहन चंद्रिका कृष्णमूर्ति टंडन एक प्रसिद्ध गायिका और उद्यमी महिला हैं |

कई पत्रिकाओं की प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में हुईं शामिल

इंद्रा नुई को प्रसिद्ध पत्रिकाओं की प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया जा चुका है | 

साल 2007 और 2008 में फोर्ब्स ने उन्हें ‘दुनिया की प्रभावशाली महिलाओं’ के सूचि में स्थान दिया | साल 2009 में फ़ोर्ब्स ने उन्हें ‘सबसे प्रभावशाली महिलाओं’ की सूचि में तीसरा स्थान दिया | 

2014 में वे फोर्ब्स की विश्व की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में 13वें स्थान पर थी | 

सन 2009 और 2010 में फार्च्यून पत्रिका ने उन्हें ‘व्यवसाय के क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली महिला’ की सूचि में पहला स्थान दिया | 

अक्टूबर 2010 में फार्च्यून पत्रिका ने उन्हें ‘दुनिया की प्रभावशाली महिलाओं’ की सूचि में छठा स्थान दिया |

साल 2015 में फॉर्च्यून ने सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में उन्हें दूसरी सबसे शक्तिशाली महिला का स्थान दिया था | 

साल 2018 में उन्हें सीईओवर्ल्ड पत्रिका द्वारा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सीईओ में से एक के रूप में नामित किया गया था | उनका नाम दो बार टाईम मैगजीन की ‘दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची’ में भी आ चुका हैं | 

फोर्ब्स के अनुसार, अप्रैल 2021 तक उनकी नेटवर्थ 29 करोड़ डॉलर थी | 

कैसी लगी आपको इंद्रा नुई की यह कहानी? हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य बतायें |

अनेकों बाधायें अवश्य उद्देश्य के मध्य आ सकती है, लेकिन उन बाधाओं के साथ निरंतरता से किया गया कार्य हमेशा सफलता तक पहुँचाता है |

Jagdisha का आत्मनिर्भर और कॉरपोरेट वर्ल्ड में महारथ हासिल करने वाली महिला को सलाम |

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