लेडीज अंडरगार्मेंट्स को भारत का पहला ई कॉमर्स ब्रांड बना देने वाली महिला एंटरप्रेन्योर

जिवामे ब्रा-पेंटी की भारत में सबसे पहला ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म है | हमारे देश में महिलाओं के अंडरगार्रमेंट यानी अंतर्वस्त्र की खरीदारी करना किसी युद्ध से कम नहीं | यह वो कपड़े हैं जिनके बारे में ज्यादा बातचीत नहीं की जाती |

अगर कोई महिला या लड़की अपने साइज यानी माप को लेकर थोड़े संदेह में है, कैसे जाने कि उसके लिए क्या सही है? लेकिन यह केवल एक सवाल ही है जिसका उत्तर स्वयं पता करना होता है | 

आप इन प्रोडक्ट यानी उत्पादों की किस्मों को लेकर भी अगर किसी दुविधा में हैं तो भी किससे पूछें कि बेहतर क्या रहेगा | अब दुकानदार के लिए तो उसके सभी उत्पाद उत्तम ही होते है | पुरूष दुकानदार है, तो उससे तो क्या ही कुछ परामर्श लिया जाये?

ब्रा-पेंटी तो वैसे भी शर्म से जुड़ा हुआ है, अब शिष्टता भला कैसे भूल सकते हैं | महिलाओं को बाजार में कई बार दुकान से अंतर्वस्त्र खरीदने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है | यदि दुकानदार पुरुष हो तो ये और कठिन हो जाता है |

यह भी पढ़ें- भारत की दूसरी सबसे अमीर स्व-निर्मित महिला अरबपति

इसी समस्या को समझते हुए और इस क्षेत्र में विस्तार की अवश्यकता को समझ ऋचा कर ने शुरुआत की ऑनलाइन साइट जिवामे की | 

लेकिन आपको बता दें, जब ऋचा कर ने अपने इस आइडिया को घर में सांझा किया तो, सबसे पहले उनकी मां ने ही विरोध किया | उनकी मां ने कहा कि वे अपनी दोस्तों को कैसे बताउंगी कि बेटी ब्रा-पैंटी बेचती है | उनके पिता को तो समझ ही नहीं आया था, कि वे करना ही क्या चाहती हैं |

ऋचा कर ने लोगों की परवाह किए बिना कि वे क्या सोचेंगे और क्या धारणा बनाएंगे अपने आइडिया पर अग्रसर रहीं | अपनी मेहनत, लगन और प्रयासों के बल पर उन्होंने अपने इस बिजनेस से 700 करोड़ से ज्यादा की कंपनी बना दी है | 

अगर आपका इरादा मजबूत है और आपको अपने सही पथ पर होने का विश्वास है तो, प्रयास करते रहें क्योंकि निश्चित ही अपकी सफलता अपका इंतजार कर रही है | बस आप अपने पद से विचलित न हों और अपने सुविधा क्षेत्र के प्रलोभन में न फसें |

आइये जानते हैं, ब्रा-पेंटी की खरीदारी की समस्या का समाधान बनकर आने वाली ऋचा कर की सफलता की कहानी…

यह भी पढ़ें- शार्क टैंक इंडिया सीजन-1 जज नमिता थापर का जीवन परिचय, लाइफस्टाइल व बिजनेस

प्रारंभिक जीवन

ऋचा कर का जन्म 17 जुलाई 1980 को झारखंड के जमशेदपुर शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ | उनकी माँ गृहणी और पिता टाटा स्टील कंपनी में कार्यरत थे |

वह बचपन से ही होनहार रही हैं | अपनी आरंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी से ग्रेजुएशन किया | 

उनका हमेशा से कुछ अलग करने का उद्देश्य रहा है | वह अपनी एक अलग पहचान बनाने की तीव्र इच्छा रखती थी |

यह भी पढ़ें- रिसेप्शनिस्ट से लेकर कॉरपोरेट वर्ल्ड में बेशुमार ख्याति प्राप्त करने तक की सफल सीईओ की कहानी

करियर

ऋचा कर ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक आईटी कंपनी में, बतौर सॉफ्टवेयर विश्लेषण के पद पर काम करना शुरू किया |

उनका उद्देश्य केवल नौकरी करना तो बिल्कुल नहीं था, इसलिए उन्होंने एम.बी.ए. करने का निश्चय किया | 2005 में उन्होंने एनएमआईएमएस (नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज) से एम.बी.ए से पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए प्रवेश लिया |

वह एम.बी.ए. पूरा करने के बाद स्पेंसर रिटेल कंपनी में ब्रांड संचार एरिया मैनेजर के तौर पर कार्यरत हुईं | 

उन्हें वर्ष 2010 में एसएपी कंपनी के साथ व्यापार सलाहकार के पद पर काम करने का मौका मिला | यहाँ पर उन्होंने एक संचालक की गुणवत्ता के बारे में भी बहुत कुछ सीखा |

साथ ही यहाँ उन्होंने बिजनेस के बारे में बहुत कुछ जाना | धीरे-धीरे बिजनेस में स्वयं को आजमाना उनका जुनून बनता गया | 

जब वह एसएपी कंपनी में काम कर रही थी, तभी उन्होंने यह निरीक्षण किया कि लड़कियां दुकानों से अपना निजी सामान खरीदने में झिझकती हैं, और एक ही जगह पर न तो उनको सभी ब्रांड मिल पाते हैं और न ही साइज |

यहाँ से उन्हें भारत में औरतों को अंतर्वस्त्र खरीददारी की समस्या पर विचार आया और उन्हें इस क्षेत्र में गहन विस्तार भी नजर आया |

जब उन्होंने देखा कि महिलाएं दुकानों पर अंतर्वस्त्र खरीदते हुए शर्माती हैं और खुलकर बात नहीं कर पाती ऐसे में उन्होंने सोचा क्यों न महिलाओं के लिए ऑनलाइन खरीददारी की व्यवस्था की जाए | उनकी सोच सही भी सबित हुई, आज वह करोड़ों की कंपनी चला रही हैं |

उनके योजना ने जिवामे का रूप ले सफलता की कहानी गढ़नी शुरू कर दी |

यह भी पढ़ें- भारतीय उद्यमी और वीएलसीसी हेल्थ केयर लिमिटेड की संस्थापक वंदना लूथरा का जीवन परिचय

चुनौतियों का किया सामना

ऋचा कर को अपना बिजनेस शुरू करने के लिए, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा | बिना योजना और रणनीति के आप, किसी भी बिजनेस को बढ़ा नहीं सकते |

ऋचा कर के लिए, यह एक फायदेमंद निर्णय रहा, क्योंकि उन्होंने एम.बी.ए की शिक्षा ली थी और उनके पास कई कंपनियों का कार्य अनुभव भी था | किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए सही जानकारी का होना बेहद जरूरी है |

बस फिर क्या था, उन्होंने अपने आइडिया से एक ई-कॉमर्स कंपनी जिवामे की नींव रखी | सबसे पहले उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी |

लोगों को जब उनके इस बिजनेस के बारे में पता चला तो वो उन पर हंसते थे | शुरुआती दौर में तो उन्हें बिजनेस के लिए जगह ढूंढने में भी समस्या आई | 

किराए पर मकान लेते समय भी मकान मालिक के उनके बिजनेस के बारे में पूछने पर उन्होंने उससे इतना ही कहना उचित समझा कि वह ऑनलाइन कपड़े बेचती हैं | तब जाकर उन्हें जगह मिली |

शुरुआत में ऋचा कर को अपने घर में ही विरोध का सामना करना पड़ा | उनकी माँ ने अपनी बेटी का यह कहकर विरोध किया कि हम अपने जान-पहचान वालों से क्या कहेंगे | हमारी बेटी ब्रा और पेंटी बेंचती है |

उनके पिता को तो, यह भी समझ में नहीं आया कि वह कौन-सा काम करना चाहती हैं | लेकिन वह रुकी नहीं और दृढ़ता से अपने निर्णय को सफल बनाने के लिए उचित प्रयास करती रहीं |

ऋचा कर अपनी वेबसाइट का नाम जिवा रखना चाहती थी | लेकिन वेबसाइट का नाम उपलब्ध ना होने के कारण उन्होंने इसका नाम जिवामे रखा | जिसका अर्थ  होता है- मुझ में चमक होना |

उनके लिए ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट – जिवामे के लिए, पेमेंट गेटवे हासिल करना भी चुनौतीपूर्ण रहा | सभी चुनौतियों का सामना करते हुए, ऋचा कर कभी पीछे नहीं हटी |

उन्होंने अपने उत्पादों में अच्छी गुणवत्ता के साथ-साथ, कई सेवाएं भी दी जैसे कि विनिमय प्रस्ताव (exchange offer),  पैसे वापस गारंटी और उत्पादों में छूट की पेशकश भी देनी शुरू की | इस बिज़नेस में इन्हें कई उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ा | 2015-16 में उनकी कंपनी को 54 करोड़ का घाटा भी झेलना पड़ा | लेकिन तब भी ऋचा कर ने हिम्मत नहीं हारी |

भारतीय वेंचर कैपिटलिस्ट, वाणी कोला उनकी गुरु हैं और उन्होंने अंतर्वस्त्र व्यवसाय के क्षेत्र में संभावनाओं को समझने के लिए उनका मार्गदर्शन किया |

यह भी पढ़ें- भारत की अग्रणी उद्यम पूंजीपति वाणी कोला की सफलता की कहानी

जिवामे की शुरूआत

ऋचा कर का मुख्य उद्देश्य, महिलाओं की मदद करना था | भारत के कई शहरों में, तब अंतर्वस्त्र के अच्छे ब्रांड उपलब्ध नहीं रहते थे | लोग अंतर्वस्त्र उत्पाद के ऑनलाइन पोर्टल पर होने के बारे में, सोच भी नहीं सकते थे | 

सबसे बड़ी समस्या यह थी कि कई शहरों में महिलाओं को अंतर्वस्त्र की खरीदारी करने में दिक्कत आती थी | महिलाएं अपनी जरूरत की चीजों को लेने में भी हिचकिचाती थी | 

महिलाओं को अंतर्वस्त्र के बारे में, बोलने में भी शर्म आती | ऋचा कर ने इस अंतर को कम करने के लिए 25 अगस्त 2011 को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर जिवामे की शुरुआत की |

उन्होंने 2011 में जिवामे की शुरुआत अपने दोस्तों, परिवार वालों की मदद और अपनी बचत से 35 लाख रुपए से की | 

जिवामे बिजनेस एक वितरण प्रणाली के साथ आना चाहता था | जो अंतर्वस्त्र के भौतिक वितरण की दिक्कतों को दूर कर सके |

जिवामे में ऑनलाइन उत्पाद विशेषज्ञ भी हैं | जिनसे महिलाएं बात कर अपनी समस्या का समाधान भी ले सकती हैं | 

ऋचा कर अपने ग्राहकों को, अच्छी सेवा देने में भी विश्वास करती हैं | इससे ग्राहकों का जिवामे पर भरोसा बनता गया और उनके बिजनेस में स्थिरता भी आती गई |

उन्होंने इस बिजनेस को कुछ इस तरह से रूप-रेखा दी कि यह बिजनेस महिलाओं की आवश्यकता को पूरी कर सके | 

जिवामे की वेबसाइट के प्रक्षेपण (Launch) के 5 घंटे के बाद ही उन्हें अपना पहला ग्राहक मिल गया था |

काफी संघर्ष के बाद उन्हें इंदौर के एक व्यवसायी ने 7000 रुपए का ऑर्डर दिया | 

धीरे-धीरे जिवामे बढ़ने लगा और 2012 में इनको पहली 3 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली | यह कोई छोटी रकम नहीं थी, यहाँ से ऋचा कर की जिंदगी में महत्वपूर्ण बदलाव आया |

उनका रेवेन्यू सालाना आधार पर 300 फीसदी की दर से बढ़ रहा है |

उन्हें वर्ष 2013 में 6 मिलियन डॉलर और 2015 में 40 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली | आज जिवामे की नेट वर्थ लगभग 8.6 मिलियन डॉलर है |

उनकी कंपनी इस समय भारत में सभी पिन कोड पर वितरण (delivery) करती है | इस सफलता के लिए ऋचा कर को वर्ष 2014 में फॉर्च्यून इंडिया की ‘अंडर 40’ लिस्ट में शमिल किया गया |

आज जिवामे, 5000 से ज्यादा रेंज, 100 से ज्यादा ब्रांड और 1000 से ज्यादा साईज शामिल कर चुका है | 

ऋचा कर की वेबसाइट पर हर महीने 2.5 मिलियन का ट्रैफिक आता है | हर 1 मिनट में उनकी वेबसाइट पर, अंतर्वस्त्र बिक जाते है | आज इस कंपनी में, कई बड़े-बड़े इन्वेस्टर्स ने पूंजी निवेश की है | 

यह भी पढ़ें- भारतीय महिला अरबपतियों में शुमार उद्यमी, टेक्नोक्रेट, अन्वेषक और बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार-शॉ का जीवन परिचय

व्यक्तिगत जीवन

कॉलेज के समय से, वह अपने सहपाठी केदार गोविंद को डेट कर रही थी | फिर आगे चलकर, उनसे उन्होंने शादी की | केदार गोविंद ने शुरू से ही उनका सहयोग किया |

अपने हौसले और जुनून के दम पर ऋचा कर ने वह कर दिखाया, जो किसी ने सोचा भी नहीं था | वह सभी युवा उद्यमी के लिए प्रेरणा है |

Jagdisha हम ऋचा कर द्वारा निर्णायक विचार को सराहनीय रूप-रेखा प्रदान कर उनके प्रयासों को सलाम करते है | 

सभी पाठकों से अनुरोध है कि आप अपने विचार हमारे साथ अवश्य सांझा करें | पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद |

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ