नीना गुप्ता को कम्यूटेटिव अल्जेब्रा और अलजेब्रिक जियोमेट्री के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार रामानुजन प्राइज फॉर यंग मैथमेटिशियन से सम्मानित किया गया है| यह पुरस्कार पाने वाली वह चौथी भारतीय और विश्व की तीसरी महिला हैं |
उन्हें 2019 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार और 2014 में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था |
रामानुजन पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 45 वर्ष से कम आयु के गणितज्ञों को गणित क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य को स्वीकार करने के लिए दिया जाता है| इसकी स्थापना 2004 में हुई थी और पहली बार 2005 में ब्राजील के गणितज्ञ मार्सेलो वियाना को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था |
इनसे पहले तीन भारतीय गणितज्ञों सुजाता रामदोरई (2006), अमलेंदु कृष्णा (2015) और ऋतब्रत मुंशी (2018) को यह सम्मान दिया जा चुका है|
महिलाओं में दिमाग नही है| उनसे कहाँ चलाया जाता है दिमाग| दिमाग़ तो होता नही है बस इधर-उधर की बाते करा लो| कुछ ऐसे ही बहुत से व्यंग कसे जाते है महिलाओं पर| मुझे इन बातों का कारण समझ नही आता, न जाने क्यों महिलाओं को दिमागी रूप से पुरुषों से कम आंका जाता हैं| नीना गुप्ता द्वारा गणित के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक रामानुजन पुरस्कार को प्राप्त करना निरर्थक बातों का उचित जवाब हैं |
शिक्षा
नीना गुप्ता 1984 में कोलकत्ता में जन्मी | उन्होंने खालसा हाई स्कूल, दूनलोप से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की| गणित में उनका रुझान स्कूल समय से ही बहुत था| उन्होंने 2006 में बेथ्यून कॉलेज से गणित ऑनर्स में स्नातक डिग्री प्राप्त की| उन्होंने 2008 में इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट, कोलकाता से गणित में मास्टर्स स्नातकोत्तर की डिग्री ली| बाद में, इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट से अमर्त्य कुमार दत्त के मार्गदर्शन में उनकी विशेषज्ञता के रूप में कम्यूटेटिव बीजगणित के साथ 2011 में पी.एच.डी. की डिग्री ग्रहण की |
गणित क्षेत्र में योगदान
साल 2009 में, जब नीना गुप्ता इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट, कोलकाता में पी.एच.डी. की छात्रा थीं, तब एक प्रोफेसर से संपर्क किया, जिनके विषय में उन्हें ज़ारिस्की कैंसिलेशन समस्या (Zariski cancellation problem) का सामना करना पड़ा था| उनके पास समस्या को हल करने के बारे में कुछ विचार थे, लेकिन प्रोफेसर ने उन्हें सलाह दी कि वह इसे छोड़ दें और अपना समय बर्बाद न करें| जबकि उन्होंने सक्रिय रूप से इस समस्या को छोड दिया, लेकिन यह एक समस्या हमेशा उनके दिमाग में हलचल मचा रही थी|
साल 2012 में नीना गुप्ता को ‘यूरेका’ क्षण में ज़ारिस्की कैंसिलेशन समस्या का एक व्यावहारिक समाधान मिल गया था| उन्हें इस समस्या को हल करने के लिए 2014 में युवा वैज्ञानिकों के लिए भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का सम्मान प्राप्त हुआ, जिसे पहली बार 1949 में रूस में जन्मे अमेरिकी गणितज्ञ ऑस्कर ज़ारिस्की द्वारा प्रस्तुत किया गया था| जिन्हें अपने समय का सबसे प्रभावशाली बीजगणितीय ज्यामिति माना जाता है|
भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी ने उनके द्वारा हल की गईं समस्या को ’हाल के वर्षों में कहीं भी किए गए बीजगणितीय ज्यामिति में सर्वश्रेष्ठ कार्य’ बताया है|
करियर
नीना गुप्ता इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट, कोलकाता की गणित प्रोफेसर हैं | उनकी रुचि के प्राथमिक क्षेत्र कम्यूटेटिव बीजगणित और एफाइन बीजीय ज्यामिति हैं| नीना गुप्ता पहले इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट में विजिटिंग साइंटिस्ट और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में विजिटिंग फैलो थीं |
नीना गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से अपनी बात साझा करते हुए कहा कि मैं इस पुरस्कार को प्राप्त करने के बाद सम्मानित महसूस कर रही हूं| हालांकि यह पर्याप्त नहीं है| एक शोधकर्ता के रूप में, मुझे लगता है कि अभी बहुत सी गणितीय समस्याएं हैं जिनका समाधान हमें खोजना है| अपने कार्य के लिए पुरस्कार प्राप्त करना निश्चित रूप से मुझे अनुसंधान क्षेत्र में और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है |
नीना गुप्ता को यह पुरस्कार मिलने से इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट का मान ओर बढ़ गया है क्योंकि अब तक जिन चार भारतीयों ने रामानुजन पुरस्कार जीता है उनमें नीना गुप्ता के अलावा ऋतब्रत मुंशी और अमलेंदु कृष्णा इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट के ही प्राध्यापक सदस्य हैं |
नीना गुप्ता के अनुसार “यह सच नहीं है कि लड़कियां गणित में स्वाभाविक रूप से खराब हैं| उनके मन में एक भय और प्रोत्साहन की कमी है, जो लड़कियों को अस्पष्ट अवधारणाओं की ओर ले जाती है और इस क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने से रोकती हैं| गणित एक बहुत ही तर्कसिद्ध विषय है, इसमें डरने जैसा कुछ नहीं है |
नीना गुप्ता अपनी प्रसिद्धि के लिए उनके माता-पिता द्वारा दिए सहयोग और उनकी योग्यता पर विश्वास को मानती हैं| वें अपने पति विशाल सरावगी का भी आभारी प्रकट करती हैं, जो IISC बैंगलोर से भौतिकी में स्नातक हैं, और KPMG में कार्यरत हैं |
पुरस्कार
- इंटरनेशनल कांग्रेस आफ मैथमैटिकल (ICM) 2022 में आमंत्रित वक्ता
- विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों के लिए DST-ICTP-IMU रामानुजन पुरस्कार (2021)
- शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (2019)
- TWAS यंग एफिलिएट्स (2020)
- भारतीय विज्ञान अकादमी के फैलो (2021)
- स्वर्ण जयंती फैलोशिप पुरस्कार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (भारत) (2015)
- इंडियन मैथमैटिकल सोसाइटी द्वारा सर्वश्रेष्ठ शोध प्रकाशन के लिए इनॉग्रल प्रोफेसर ए.के. अग्रवाल पुरस्कार (2014)
- INSA युवा वैज्ञानिक पुरस्कार (2014)
- मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा रामानुजन पुरस्कार (2014)
- भारतीय विज्ञान अकादमी की एसोसिएटशिप (2013)
- सकारात्मक विशेषता में ज़ारिस्की कैंसिलेशन समस्या पर उनके काम के लिए TIFR छात्र संघ द्वारा सरस्वती कौसिक पदक (2013)
रामानुजन अवार्ड किसे मिलता है?
रामानुजन अवार्ड विकासशील देशों के युवा गणितज्ञ को साल 2005 के बाद से हर वर्ष प्रदान किया जाता है| इस अवार्ड को, ‘अब्दुस सलाम इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिज़िक्स’ (ICTP) द्वारा भारत सरकार के ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग’ (DST) तथा अंतरराष्ट्रीय गणितीय संघ (IMU) के साथ संयुक्त रूप से प्रदान किया जाता है| यह पुरस्कार हर साल 31 दिसंबर को विकासशील देश के उन शोधकर्ताओं को दिया जाता है, जिन्होंने गणित क्षेत्र में उत्कृष्ट काम किया हो और उनकी उम्र 45 या उससे कम हो| गणित विज्ञान की किसी भी शाखा में काम करने वाले शोधकर्ता इस पुरस्कार के योग्य हैं|
Jagdisha, नीना गुप्ता को गणित क्षेत्र में उच्चतम कार्यो के लिए शुभकामनाएं देते हैं| भविष्य में आपके कार्यो में प्रगति और लक्ष्य की प्राप्ति की कामनाएं करते हैं |
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