क्या आप जानते है भारत की मिसाइल वुमन वैज्ञानिक डॉ टेसी थॉमस को

भारत की ‘अग्निपुत्री’ या ‘मिसाइल-वुमन ऑफ़ इंडिया’ डॉ टेसी थॉमस को क्या आप जानते हैं? 
 
निश्चित ही ऐसे पाठक भी होगे जो उनके विषय में बिल्कुल भी न जानते हो| अगर नही जानते तब, तो आपको आवश्य ही इन उत्कृष्ट नारी के विषय में जानने की उत्सुकता होगी|
 
 
डॉ टेसी थॉमस रक्षा शोध एवं विकास संगठन (DRDO) की महानिदेशक और प्रक्षेपास्त्र परियोजना का प्रबन्धन करने वाली पहली भारतीय महिला हैं| 
 
 
भारत के मिसाइल-मेन डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम को किसी भी परिचय की आवश्यकता नही हैं| उन्होंने आपना सारा जीवन देश हित में और देश के मिसाइल कार्यक्रम के अंतर्गत – पृथ्वी, आकाश, अग्नि, नाग, धनुष , त्रिशूल और ब्रहमोस जैसी मिसाइलो के अनुसन्धान और विकास को समर्पित किया है|
 
डॉ. टेस्सी थॉमस को भारत की 3500 कि.मी. तक प्रहार क्षमता रखने वाली अग्नि-4 मिसाइल के सफल परीक्षण के पश्चात से ही अग्निपुत्री के नाम से सम्बोधित किया जाने लगा था|
 
 
मिसाइल वुमन डॉ टेस्सी थॉमस ने भी अपना संपूर्ण जीवन मिसाइल परियोजना के उन्नत एवं परिष्कृत अग्नि 2 से अग्नि 5 तक के सभी संस्करणों के अनुसन्धान और विकास में दिया है| वें डॉ अब्दुल कलाम को अपना गुरु मानती है जो भारत के मिसाइल कार्यक्रम और परियोजना के जनक माने जाते है|
 
 
संपूर्ण विश्व ने डॉ. टेस्सी थॉमस का लोहा तब माना जब उन्होंने 19 अप्रैल 2012 में अग्नि-5 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में अग्नि-5 की स्ट्राइक रेंज 5,000 किलोमीटर की मिसाइल का सफल परीक्षण कर दिखाया| 
 
 
आज हमारा देश भारत, विश्व में पांचवा देश है जो अंतर महादिव्पीय मिसाइल प्रणाली ( ICBM ) की क्षमता से 5000 कि. मी. तक अपनी मिसाइल के प्रहार से किसी भी शत्रु को उसके घर में ही ढेर कर सकता है|
 
 
जीवनी
 
 
डॉ. टेसी थॉमस का जन्म अप्रैल 1963 में केरल राज्य के अलाप्पुझा में सीरियन क्रिश्चन परिवार में हुआ था| मदर टेरेसा के नाम पर उनका नाम टेसी रखा गया|
टेसी थॉमस ने सेंट माइकल हायर सेकेंडरी स्कूल और सेंट जोसेफ गर्लज़ हायर सेकेंडरी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की| जब वे 13 वर्ष की थीं, तब उनके पिता को स्ट्रोक पड़ा जिससे पश्चात उनके शरीर का दाहिना भाग लकवाग्रत हो गया। उनकी माँ, जो कि अध्यापिका थीं, ने इस हादसे के बाद परिवार की देख-भाल के लिये गृहणी बनना स्वीकार किया|
 
 
टेसी थॉमस का बचपन, थुम्बा रॉकेट स्टेशन के निकट बीता| उनके स्कूल के  दिनों मे ‘नासा’ का अपोलो यान चाँद पर उतरने वाला था| उन्हें रोज़ाना उस यान के बारे में सुनकर प्रेरणा मिल रही थी कि वह भी एक दिन ऐसा ही एक रॉकेट बनायें, जो आसमान की लंबी ऊंचाई को छू सके| और वहीं से प्रक्षेपास्त्रों में उनकी रुचि तीव्र हुई| 
त्रिचुर इन्जीनरिंग कॉलेज, कैलिकट (केरल) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मे बी. टेक. किया| और इसके बाद एम. टेक. के लिए पुणे स्थित ‘डिफेन्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस टेक्नोलॉजी’ की प्रवेश परीक्षा पास की| वे यह परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले तीन छात्रों में से एक थीं और पहली महिला भी| 
 
 
 
 
1986 में आयुध प्रौद्योगिकी संस्थान (अब रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान), पुणे से गाइडेड मिसाइल्स में एमई की डिग्री प्राप्त की और 2014 में जवाहरलाल नेहरु टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (JNU), हैदराबाद से मिसाइल गाइडेंस में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की| उन्होंने 2007 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) नई दिल्ली से ऑपरेशंस मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री प्राप्त की|
 
 
डॉ टेसी थॉमस की चार बहनें और एक भाई है| उनकी शादी भारतीय नौसेना में कमांडर सरोज कुमार से हुई| उनका एक बेटा है जिसका नाम तेजस है|
 
 
1988 में डॉ टेसी थॉमस ने DRDO को जॉइन किया जहां उन्होंने डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के अधीन काम किया| उन्हें बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि के डिजाइन और विकास विभाग में नियुक्त किया गया था| अग्नि कार्यक्रम के लिए, उनकी नियुक्ति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा की गई थी| उन्होंने लंबी दूरी की परमाणु सक्षम बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| वह दुनिया में रणनीतिक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों पर काम कर रही महिलाओं में से एक है|
 
 
डॉ टेसी थॉमस सालिड प्रोपेलेट्स सिस्टम ( ठोस प्रणोदक प्रणाली ) और गाइडेड मिसाइल सिस्टम में विशेषज्ञ हैं|
 
 
डॉ टेसी थॉमस ने अग्नि-II मिसाइल के शोध में मुख्य भूमिका निभाई और 3,000 कि.मी. दूरी की अग्नि-III मिसाइल परियोजना की सहयोगी परियोजना निदेशक थी| वह मिशन अग्नि IV की परियोजना निदेशक थीं, जिसका 2011 में सफल परीक्षण किया गया था|
 
डॉ टेसी थॉमस को 2008 में 5,000 किमी रेंज अग्नि-V के लिए परियोजना निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था| अग्नि-V का 19 अप्रैल 2012 को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था| उन्हें 2018 में डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल सिस्टम के महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया| और अब वें बैलिस्टिक मिसाइल्स के बड़े विशेषज्ञ में से एक हैं|
 
 
अग्नि-V के परीक्षण के समय खराब मौसम के कारण विलम्ब के अनुभव ने डॉ. टेस्सी थॉमस को एक ओर बडी प्रेरणा दी और उन्होंने एक महत्वपूर्ण मिसाइल तकनीक Re Entry Vheical System (REVS) का विकास कर दिया| यह अत्याधुनिक REVS तकनीक मिसाइल को विपरीत मौसम की परिस्थितियों में भी अनुकूल बना देती है| और 3000 °C तापमान में भी साधे हुए निशाने तक पहुँचने से नहीं रोक सकती है| यह तकनीक लम्बी दूरी की मिसाइल को वायुमंडल से बाहर जाकर फिर से वायुमंडल में आकर अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम बनाती है, जिससे शत्रु को मौसम ख़राब होने पर भी उसी के घर में जाकर ढेर किया जा सके|
 
 
उनकी यह मिसाइल यात्रा रूकी नहीं है| डॉ. टेसी थॉमस अब अग्नि-5 मिसाइल का नेवी एडिशन बनाने में व्यस्त हैं| इससे दुश्मन को पानी के रास्ते से भी मात दी जा सकेगी| उन्होंने स्वयं आईआईटी मंडी में एसोसिएशन फॉर मशीन एंड मेकेनिज्म और इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर द प्रमोशन ऑफ मेकेनिज्म एंड मशीन साइंस के इंटरनेशनल सेमिनार में मिसाइल बनाने का खुलासा किया|
 
 
पुरस्कार
 
 
डॉ टेसी थॉमस को 2012 मे लाल बहादुर शास्त्री नैशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है| यह पुरस्कार मिसाइल टेक्नॉलजी के मैदान में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है| उन्हें कल्पना चावल पुरुस्कार से भी सम्मानित किया गया है| उन्हें 2016 में आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर समेत पांच विभिन्न यूनिवर्सिटियों ने डीएससी की मानद डिग्री भेंट की है|
 
 
डॉ टेसी थॉमस को 2001, 2007, 2008 में DRDO की ओर से उन्हें विशेष तकनीको के विकास के लिए पांच बार पुरुस्कृत किया गया है| 
 
 
2011 में अग्नि 4 और 2012 में अग्नि 5 के लिए DRDO उत्कृष्ट प्रदर्शन पुरस्कार|
 
2009 में द इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियर्स (भारत), नेशनल डिज़ाइन एंड रिसर्च फोरम फॉर इंजीनियरिंग डिज़ाइन द्वारा सुमन शर्मा पुरस्कार|
 
मैडम मैरी क्युरी महिला विज्ञान पुरस्कार – 2012
 
इंडिया टुडे वुमेन ऑफ़ द ईयर पुरस्कार – 2009
 
सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ़ द ईयर पुरस्कार – 2012
 
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा शानदार महिला पुरस्कार – 2013 
 
केरल सरकार के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा वनिता रत्नम पुरस्कारम, मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शानदार योगदान के लिए वर्ष 2014 के लिए डॉ. वाई. नायुदाम्मा मेमोरियल पुरस्कार, द इंस्टिट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स (भारत), तेलंगाना राज्य केंद्र, हैदराबाद द्वारा स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों के डिज़ाइन, विकास और स्थापना की दिशा में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शानदार योगदान की दिशा में “भारत रत्न सर मोक्षगुंदम विश्वेशराय पुरस्कार – 2016 
 
आंध्र प्रदेश साइंस कांग्रेस, आंध्र प्रदेश विज्ञान अकादमी द्वारा मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2016 में “विख्यात महिला वैज्ञानिक पुरस्कार”|
 
यह कहना अनुचित है कि महिलाएं केवल घर-परिवार संभालने योग्य हैं| महिलाएं अपने कौशल, सुझ-बुझ, निष्ठा और कर्तव्यपरायण से किसी भी क्षेत्र में उन्नति प्राप्त कर सकती हैं| 
 
डॉ टेसी थॉमस भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं| सभी महिलाओं को उनसे सिखना चाहिए कि कुछ कर दिखाने की चाह और अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढते रहने और बेहतर करने की दृढ़ता से हर राह को आसान बनाया जा सकता हैं|
 

 

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